N4N DESK : वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर भारत में कहर मचा रहा है । प्रतिदिन तीन लाख से ऊपर एक्टिव केस आने की वजह से पूरे देश में हड़कंप मचा हुआ है। लेकिन इसी बीच इस पर शोध कर रहे आईआईटी के वैज्ञानिकों ने कहा है कि अभी दूसरी लहर का पीक भारत में अभी नहीं आया है । साथ ही इन लोगों ने दूसरी लहर के चरम पर आने की तिथि भी का भी ऐलान कर दिया है । अब जरा सोचिए कि आज स्थिति ऐसी है तो कोरोना की दूसरी लहर का पिक आएगा तो परिस्थिति कितनी भयावह होगी । (आईआईटी) के रिसर्चरों ने अपने मैथेमेटिकल मॉडल के आधार पर यह अनुमान लगाया है कि भारत में वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर 11 से 15 मई के बीच अपने पीक पर होगी उस दौरान एक्टिव मरीजों की संख्या 33 से 35 लाख तक पहुंच जाने का अनुमान है। कोरोना के चरम पर आने के बाद मई महीने के एकदम अंत मे मामलों में तेजी से गिरावट आएगी ।
फिलहाल जो आंकड़े सामने वह डराने वाले हैं । भारत मे बीते शुक्रवार को जहां इलाजरत मरीजों की संख्या बढ़कर 24,28,616 हो गई है। वहीं एक दिन में संक्रमण के 3,32,730 (3.32 लाख) नए मामले आए जबकि 2263 लोगों की मौत हुई । कोरोना के चरम पर आने की तिथि का अनुमान लगाने वाले भारतीय प्रद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) हैदराबाद व कानपुर के वैज्ञानिकों ने एप्लाइड दस ससेक्टिबल, अनडिटेक्ड, टेस्टड (पॉजिटिव) ऐंड रिमूव एप्रोच (सूत्र) मॉडल को अपना आधार बनाया है । इस रिसर्च के अनुसार कोरोना के मामलों में गिरावट आने से पहले मध्य मई तक उपचाराधीन मरीजों की संख्या में 10 लाख तक की वृद्धि हो सकती है। इतना ही नहीं देश के कुछ राज्यों में नए मामले रिकार्ड ऊंचाई पर जा सकती है । इन राज्यो में अव्वल हैं दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और तेलंगाना। बताया गया है कि खासकर नए मामलों के संदर्भ में तेलंगाना 25 से 30 अप्रैल के बीच हीं नयी ऊचांई छू सकते हैं।
आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर साइंस विभाग में प्रोफेसर मनिंदर अग्रवाल ने 'पीटीआई-भाषा को बताया, ''हमने पाया कि 11 से 15 मई के बीच उपचाराधीन मरीजों की संख्या में वृद्धि होने की तार्किक वजह है और यह 33 से 35 लाख हो सकती है। यह तेजी से होने वाली वृद्धि है लेकिन उतनी तेजी से ही नए मामलों भी कमी आने की संभावना है व मई के अंत तक इसमें नाटकीय तरीके से कमी आएगी।
गौरतलब है कि आईआईटी के रिसर्चरों द्वारा कोरोना को लेकर किया गया अनुसंधान अब तक प्रकाशित नहीं किया गया है । लेकिन वैज्ञानिकों का दावा है कि इस बार सूत्र मॉडल में कई विशेष पहलू हैं जबकि पूर्व के अध्ययनों में मरीजों को बिना लक्षण और संक्रमण में विभाजित किया गया था। नए मॉडल में इस तथ्य का भी संज्ञान लिया गया है कि बिना लक्षण वाले मरीजों के एक हिस्से का पता संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की जांच या अन्य नियमों के द्वारा लगाया जा सकता है।
बता दें कि महीने की शुरुआत में हीं गणितीय मॉडल के माध्यम से कोरोना को लेकर अनुमान लगाया गया था कि भारत मे कोरोना महामारी का संक्रमण 15 अप्रैल तक अपने चरम पर पहुंच जाएगी । लेकिन यह सत्य साबित नहीं हुई। वैज्ञानिक अग्रवाल ने कहा, '' मौजूदा चरण के लिए हमारे मॉडल के मापदंड लगातार बदल रहे हैं, इसलिए एकदम सटीक आकलन मुश्किल है। यहां तक कि रोजाना के मामलों में मामली बदलाव से चरम की संख्या में हजारों की वृद्धि कर सकते हैं।''अग्रवाल के अनुसार कोरोना महामारी का पूर्वानुमान लगाने के लिए इस बार गणितीय मॉडल में तीन मापदंडो का इस्तेमाल किया गया है। पहला बीटा या संपर्क, जिसकी गणना इस आधार पर की जाती है कि एक व्यक्ति ने कितने अन्य को संक्रमित किया। उन्होंने बताया कि दूसरा मापदंड है कि महामारी के प्रभाव क्षेत्र में कितनी आबादी आई, तीसरा मापदंड पुष्टि हुए और गैर पुष्टि हुए मामलों का संभावित अनुपात है।