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Vastu Tips: पितृपक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के 5 आसान तरीके! बन जाएंगे बिगड़े काम

Vastu Tips: पितृपक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के 5 आसान तरीके! बन जाएंगे बिगड़े काम

Vastu Tips: दक्षिण-पश्चिम कोना पितरों की आत्मा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस कोने में दीपक जलाने से न केवल पितरों को शांति मिलती है, बल्कि इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर दीप जलाने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है।


दक्षिण दिशा में दीपक जलाना एक प्राचीन परंपरा है, जो पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान को दर्शाता है। इस दीपदान से न केवल पितर प्रसन्न होते हैं, बल्कि परिवार में सुख-शांति का संचार भी होता है। यह उपाय पितृदोष निवारण में भी सहायक सिद्ध होता है। नीम, बेल और तुलसी के पौधे पवित्र माने जाते हैं और इनका दक्षिण-पश्चिम कोने में रोपण करने से पितृ दोष को दूर किया जा सकता है। नीम का पौधा नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है, जबकि तुलसी का पौधा घर में सकारात्मकता और स्वास्थ्य का प्रतीक है। फूलों का धार्मिक महत्व भी अनमोल है। पुरुषों की तस्वीर पर सफेद और महिलाओं की तस्वीर पर लाल लकड़ी के फूल चढ़ाने से श्रद्धा और प्रेम का संचार होता है। सफेद रंग शुद्धता का प्रतीक है, जबकि लाल रंग शक्ति और ऊर्जा का संकेत देता है।


पितृदोष के प्रभाव से व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जैसे धन हानि और विवाह में बाधाएं। पितृदोष को दूर करने के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करना, पितरों का तर्पण करना और दान करना शुभ माना जाता है। दक्षिण-पश्चिम कोने का महत्व न केवल पितरों के लिए, बल्कि पूरे परिवार के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस स्थान में दीप जलाने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन उपायों को अपनाने से घर में सुख-शांति का वातावरण बना रहता है।

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