नालंदा- यह किस तापस की समाधि है? किसका यह उजड़ा उपवन है?ईंट-ईंट हो बिखर गया यह किस रानी का राजभवन है? प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय.... शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र ....यहां आचार्य शीलभद्र, धर्मपाल, चंद्रपाल, गुणमति और स्थिरमति जैसे विद्वान अपने शिष्यों में ज्ञान की ज्योति जलाते थे. इस विश्वविद्यालय की हनक पूरे संसार में थी.
नालंदा विश्वविद्यालय के लिए प्रवेश परीक्षा कठिन होती थी और उसके कारण प्रतिभाशाली विद्यार्थी ही प्रवेश पा सकते थे. तीन कठिन परीक्षा स्तरों को उत्तीर्ण करना होता था. शुद्ध आचरण और संघ के नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक था. नालंदा महाविहार में एक समय में 10 हजार छात्र शिक्षा ग्रहण करते थे.... यहां पढ़ने वाले अपने भाग्य को सराहते थे.
नालंदा विश्वविद्यालय में वेद, वेदांत और सांख्य के अलावा व्याकरण, दर्शन, शल्यविद्या, ज्योतिष, योगशास्त्र और चिकित्साशास्त्र की पढ़ाई होती थी. नालंदा की खुदाई में मिली अनेक काँसे की मूर्तियो के आधार पर कुछ विद्वानों का मत है कि धातु की मूर्तियाँ बनाने के विज्ञान का भी यहां अध्ययन होता था. सहीं नहीं यहाँ खगोलशास्त्र अध्ययन के लिए एक विशेष विभाग भी था.
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त वंश के शासक कुमार गुप्त ने 425 से 470 ईस्वी के बीच किया था. हर्षवर्द्धन और पाल शासकों के समय में यह नालंदा विश्वविद्यालय फलता-फूलता रहा. लगभग 600 सालों तक नालंदा विश्वविद्यालय ने पूरी दुनिया में अपने ज्ञान का डंका बजाया.
13वीं सदी में तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने आक्रमण कर नालंदा विश्वविद्यालय को बर्बाद कर दिया. ....यह टूटा प्रासाद सिद्धि का, महिमा का खँडहर है,ज्ञानपीठ यह मानवता की तपोभूमि उर्वर है. इस पावन गौरव-समाधि को सादर शीश झुका.
कहते हैं यहां कभी ...पग-पग पर सैनिक सोता है, पग-पग सोते वीर, कदम-कदम पर यहाँ बिछा है ज्ञानपीठ गंभीर..यह गह्वर प्राचीन अस्तमित गौरव का खँडहर है! सूखी हुई सरिता का तट यह उजड़ा हुआ नगर है.एक-एक कण इस मिट्टी का मानिक है अनमोल...
इस विश्वविद्यालय का आज भग्नावशेष बचा है .यह खँडहर उनका जिनका जग कभी शिष्य और दास बना था, यह खँडहर उनका, जिनसे भारत भू-का इतिहास बना था. और इस इतिहास का , प्राचीन अस्तमित गौरव का खँडहर का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्री जयशंकर और राज्यपाल राजेंद्र विश्वनात अर्लेकर के साथ नमन किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस भूमि को शीष नवाते हुए कहा भी कि नालंदा कभी भारत की परंपरा और पहचान का जीवंत केंद्र हुआ करता था नालंदा का अर्थ है जहां शिक्षा का ज्ञान के दान का अविरल प्रवाह हो शिक्षा को लेकर यही भारत की सोच रही है शिक्षा सीमाओं से परे है नफा नुकसान के नजरिए से भी पड़े हैं शिक्षा ही हमें विचार देती है बढ़ती है और आकर देती है प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में बच्चों का नामांकन उनकी पहचान और राष्ट्रीयता को देखकर नहीं होता था हर देश की युवा यहां आते थे अब इस नए कैंपस में इस प्राचीन व्यवस्था को आधुनिक रूप में मजबूती देनी है मुझे यह देखकर खुशी हो रही है की दुनिया के कई देशों के स्टूडेंट आने लगे नालंदा में 20 से ज्यादा देशों के छात्र पढ़ाई कर रहे हैं .
बहरहाल नालंदा विशिवविद्यालय का 800 साल बाद फिर से स्थापना हुई है.तो... कभी धूल फूल-सी मह-मह करती, चारों ओर सुरभि है भरती,उपवन था वह कौन यहाँ जो हुआ सुलग कर क्षार?कौन है इस गह्वर के पार?
दीपित देश-विदेश अभी भी,विभा विमल है शेष अभी भी,जला गया यह अमर धर्म का दीपक कौन उदार?कौन है इस गह्वर के पार? जी हां तिमिर छंट चुका है. शिक्षा का दीपक जल चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नालंदा विश्वविद्यालय का उद्घाटन कर दिया है.. अब फिर..तिमिर में भी रवि-सा शिक्षा का दीपक उगेगा. बिहार के लोगों की अभिलाषा पूरी हो गई है. विजय की दृढ़ आशा जगी है...अब फिर शिक्षा जगत के मरु में शीतल नीर प्रवाहित होगी... बहरहाल अब कहा जा सकता है...युग-युग होता जायेगा अभिनव अभिनय अभियान जगेगी शिक्षा कि अलख, बजेगा फिर बिहार के शिक्षा का डंका महान....