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क्या है श्वेत पत्र? मनमोहन सिंह सरकार को 10 साल बाद कठघरे में खड़ा करना क्यों चाहती है मोदी सरकार, समझिये

क्या है श्वेत पत्र? मनमोहन सिंह सरकार को 10 साल बाद कठघरे में खड़ा करना क्यों चाहती है मोदी सरकार, समझिये

DESK. वर्तमान संसदीय सत्र के दौरान केंद्र की मोदी सरकार वर्ष 2004 से 2014 तक के यूपीए शासन के दौरान कथित आर्थिक कुप्रबंधन पर एक श्वेत पत्र पेश करने वाली है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मानें तो श्वेत पत्र भारत की आर्थिक पीड़ा और अर्थव्यवस्था पर इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में विस्तार से बताएगा। इसके अतिरिक्त, यह उस समय रचनात्मक कार्रवाई करने के फायदों पर भी चर्चा करेगा जिसे अगर यूपीए शासन के दौरान किया गया होता तो इससे भारत की अर्थव्यवस्था काफी तेजी से आगे बढती. 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि डॉ मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहने के दौरान यूपीए शासन में जो कुछ भी अनैतिक था उसे श्वेत पत्र में शामिल किया जाएगा. साथ ही उन संभावित लाभों को भी शामिल किया जाएगा जो उस समय सही निर्णयों से अर्थव्यवस्था को हो सकते थे. सीतारमण ने कहा कि हमने दस अद्भुत साल खो दिए. खानों से लेकर बैंकों तक, अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में समस्याएं थीं.

उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले श्वेत पत्र नहीं निकाला क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि लोगों का उस पर और संस्थानों पर से विश्वास कम हो. उन्होंने कहा, पीएम मोदी ने सबसे पहले अर्थव्यवस्था को संभाला, यही वजह है कि पहले श्वेत पत्र नहीं निकाला गया। पीएम कभी भी त्वरित बदलाव के पक्ष में नहीं हैं. 

उन्होंने दावा किया कि चूंकि सरकार नहीं चाहती थी कि लोगों का उन पर या उसकी संस्थाओं पर से विश्वास कम हो, इसलिए प्रशासन ने श्वेत पत्र प्रकाशित करने में देरी की. शुरुआत में अर्थव्यवस्था को पीएम द्वारा स्थिर किया गया था, यही कारण है कि एक श्वेत पत्र में देरी हुई. त्वरित बदलावों को शायद ही कभी प्रधानमंत्री का समर्थन प्राप्त हो. ऐसे में श्वेत पत्र इस बात पर गौर करेगा कि देश 2014 तक कहां था और अब कहां है. 

क्या है श्वेत पत्र? : श्वेत पत्र का सीधा सा मतलब है कि सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला एक तरह का आधिकारिक बयान। इसमें किसी बड़े मुद्दे पर विस्तार से बात की जाती है। श्वेत पत्र को संसद के पटल पर रखा जाता है। आम तौर पर विपक्ष द्वारा सरकार के किसी कार्यक्रम को लेकर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की जाती है। यह मांग तब की जाती है जब विपक्ष को लगे कि सरकार सही जानकारी नहीं दे रही है। माना जाता है कि श्वेत पत्र में सिर्फ सच्चाई बताई जाएगी, हालांकि इसका कोई वैधानिक महत्व नहीं है। हालांकि यहां मोदी सरकार पिछली यूपीए सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए उनके खिलाफ श्वेत पत्र ला रही है. इसमें खास बात यह भी है कि जिस सरकार को गए 10 साल हो गए उसके कामों का आकलन अब जाकर करने के लिए श्वेत पत्र लाया जा रहा है. 


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