बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

जब जनता की नाराजगी से हुआ सामना : नामांकन करने आए केंद्रीय कपड़ा मंत्री के कपड़े उतारकर भागने को कर दिया था मजबूर, खौफ ऐसा कि संसदीय सीट ही बदल दिया

जब जनता की नाराजगी से हुआ सामना : नामांकन करने आए केंद्रीय कपड़ा मंत्री के कपड़े उतारकर भागने को कर दिया था मजबूर, खौफ ऐसा कि संसदीय सीट ही बदल दिया

PATNA : लोकतंत्र में जनता ही मालिक होती है, वह चाहे तो किसी नेता को फर्श से अर्श तक पहुंचा देती है। वहीं कभी कभी यह जनता अर्श पर बैठे नेता से इतनी नाराज हो जाती है कि उन्हें सबक सिखाने से भी परहेज नहीं करती है। चुनावी मौसम है, ऐसे में चुनाव से जुड़े कई किस्से हैं, जब जनता ने अपने नेता का कई दफा पानी उतारने का काम किया है। बिहार में ऐसी ही एक घटना हुई थी, जब लोकसभा चुनाव के दौरान केंद्र में वस्त्र मंत्री रहे बिहार के सांसद को नामांकन के दौरान जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ा था। न सिर्फ जनता ने वस्त्र मंत्री के कपड़े फाड़ दिए थे। बल्कि उन्हें बिना नॉमिनेशन किए ही वापस लौटना पड़ा था। 

1990 की है घटना

बात 1990 के दशक की है। बिहार में लालू प्रसाद द्वारा आडवाणी जी की रथ यात्रा रोकने से नाराज होकर भाजपा ने केंद्र में जनता दल से समर्थन वापस ले लिया था। जिसके कारण प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार गिर गई थी। उसी समय यूपी के बलिया जिले के दिग्गज नेताओं में शामिल डा. चंद्रशेखर सिंह ने जनता दल के 64 सांसदों के साथ अलग होकर नई समाजवादी जनता पार्टी बना ली थी। जिन्हें वामदलों और कांग्रेस ने समर्थन दिया और केंद्र में चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने। चंद्रशेखर की पार्टी में ही बिहार के सीतामढ़ी सीट से जीतकर जनता दल से आए एक सांसद थे हुकुम नारायण सिंह, जिन्हें केंद्र में कपड़ा मंत्री बनाया गया था। 

तीन महीने ही चल सकी चंद्रशेखर की सरकार

अभी चंद्रशेखर की सरकार को तीन माह 24 दिन का समय ही गुजरा था कि  सरकार को बाहर से समर्थन दे रही कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जासूसी करवाने का आरोप लगाकर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। इससे चंद्रशेखर सरकार अल्पमत में आ गई। चंद्रशेखर ने 6 मार्च, 1991 को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद देश में दसवीं लोकसभा के लिए चुनाव का बिगुल बज गया।

दो साल तक अपनी जनता के बीच नहीं गए हुकुमदेव

कपड़ा मंत्री रहे हुकुमदेव नारायण एक बार फिर चुनावी रणक्षेत्र में उतरने के लिए तैयार थे। लेकिन इस बार उनके प्रति सीतामढ़ी की जनता में  नाराजगी थी। इस नाराजगी का कारण  चुनाव जीतने के बाद दो साल तक क्षेत्र की जनता के बीच नहीं जाना था।  1989 में जीतकर दिल्ली जाने के बाद उन्होंने अपने संसदीय इलाके को भुला दिया था। 

नामांकन के दौरान उतारे कपड़े

1991 में जब फिर से चुनाव हो रहे थे, तब हुकुमदेव नारायण यादव दोबारा सीतामढ़ी सीट से नामांकन का पर्चा दाखिल करने पहुंचे थे लेकिन उन्हें कलेक्टेरियट परिसर में ही जनता का भारी विरोध और गुस्से का सामना करना पड़ा था।

कहा जाता है कि लोग तब यादव से इतने खफा थे कि उन्हें नामांकन करने के लिए जिला समाहरणालय में घुसने तक नहीं दिया था और उनके कपड़े तक फाड़ दिए थे। भीड़ ने उनकी धोती खोल दी थी। उनके सुरक्षा कर्मी भी यह देखकर भौचक्का रह गए थे। यह भी कहा जाता है कि तब भीड़ नारे लगा रही थी- "जब जनता का जोश जागा, भारत का वस्त्र मंत्री निर्वस्त्र होकर भागा।"

छोड़नी पड़ी सीतामढ़ी सीट

जनता का नारजगी का सामना हुकुमदेव नहीं कर सके और उन्होंने सीतामढ़ी लोकसभा को छोड़ना ही बेहतर समझा। उन्होंने फिर दरभंगा से चुनाव लड़ा था, लेकिन इसका भी उन्हें कोई फायदा नहीं, दरभंगा में वह अपनी जमानत भी जब्त होने से नहीं बचा सके। जबकि सीतामढ़ी से जनता दल के टिकट पर युवा उम्मीदवार नवल किशोर यादव ने रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की थी। 


Suggested News