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कौन थे ब्रह्रमेश्वर मुखिया, इन पर था 277 लोगों के हत्या का आरोप,जब 12 साल पहले आरा में हुए हाई प्रोफाइल मर्डर के बाद जल उठा था बिहार, पढ़िए इनसाइड स्टोरी

कौन थे ब्रह्रमेश्वर मुखिया, इन पर था 277 लोगों के हत्या का आरोप,जब 12 साल पहले आरा में हुए हाई प्रोफाइल मर्डर के बाद जल उठा था बिहार, पढ़िए इनसाइड स्टोरी

PATNA- बिहार में साल 2012 में 'बिहार में नक्सलियों और सवर्णों के बीच दशकों तक चले खूनी संघर्ष का साक्षी रहे रणवीर सेना  के सुप्रीमो  ब्रह्मेश्वर सिंह उर्फ ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या हुई थी. रणवीर सेना भूमिहार जातियों का एक संगठन था. ब्रह्मेश्वर मुखिया की आरा जिले में गोली मारकर हत्या हुई थी.  बिहार में जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट और उसपर आधारित आरक्षण लागू होने के कुछ समय बाद ही जातीय राजनीति से जुड़े बिहार के सबसे बड़े मामले ने की सवाल खड़ा कर दिए हैं. लालू-राबड़ी शासनकाल के दौरान जातीय संघर्ष में अगड़ी जाति, खासकर भूमिहारों की कमान संभालने वाले ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई ने नया नाम जोड़ा है. मुख्य आरोपी के रूप में पूर्व विधान पार्षद हुलास पांडेय का नाम सीबीआई ने जोड़ा है.  हुलास पाण्डेय चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) में संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं.आरा जिला एवं सत्र न्यायालय में सीबीआई ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है.सेशन जज-3 के कोर्ट में दायर चार्जशीट में पूर्व एमएलसी हुलास पांडेय समेत आठ लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है. जिन लोगों को अभियुक्त बनाया गया है उनमें अभय पांडेय, नंद गोपाल पांडेय उर्फ फौजी, रितेश कुमार उर्फ मोनू, अमितेश कुमार पांडेय उर्फ गुड्डू पांडे, प्रिंस पांडेय, बालेश्वर पांडेय और मनोज राय उर्फ मनोज पांडेय का नाम शामिल है. 

 रणवीर सेना सुप्रीमो रहे ब्रह्मेश्वर मुखिया  की 1 जून 2012 को आरा में गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई थी. बिहार के भोजपुर जिले के पवना थाना क्षेत्र के खोपीरा गांव निवासी ब्रह्मेश्वर मुखिया का घर आरा शहर में कतिरा-स्टेशन रोड में है. एक जून 2012 को रोज की तरह सुबह में मुखिया अपने आवास की गली में ही टहल रहे थे, इसी दौरान सुबह के करीब चार-साढ़े चार बजे उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई.  

बता दें ब्रह्मेश्वर मुखिया बिहार में सवर्णों के प्रतिबंधित संगठन रणवीर सेना के सुप्रीमो थे. मुखिया पर 2012 तक 277 लोगों की हत्या और उनसे जुड़े 22 अलग-अलग मामलों में केस दर्ज थे. भोजपुर जिले के इस शख्स को 16 मामलों में उन्हें साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था जबकि बाकी 6 मामलों में मुखिया को जमानत मिली थी. उनको 29 अगस्त 2002 को पटना के एक्जीबिशन रोड से पटना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. गिरफ्तारी के बाद ब्रह्मेश्वर मुखिया ने 9 साल तक जेल की सजा काटी औक उसके बाद आठ जुलाई 2011 को उनकी रिहाई हुई. जेल से छूटने के बाद ब्रह्मेश्वर मुखिया आरा में ही ज्यादा रहते थे और कतिरा स्थित आवास के समीप ही उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. 

मुखिया  के हत्या के 12 साल बाद सीबीआई ने हुलास पांडे को अभियुक्भीत बनाया है.  मुखिया हत्याकांड के बाद बिहार से लेकर दिल्ली तक की सियासत गरमा गई थी. मुखिया की हत्या के बाद आरा समेत पटना, औरंगाबाद, जहानाबाद एवं गया जिला समेत बिहार के अन्य जगहों पर उपद्रव हुआ था. आरा में तो उन्मादी भीड़ ने सरकारी तंत्र को खास तौर पर निशाने को लिया था. स्टेशन से लेकर सर्किट हाउस तक आग के हवाले कर दिए गए थे. हालात ऐसे थे कि आरा में भीड़ ने तत्कालीन डीजीपी अभयानंद पर भी हमला बोलने की कोशिश की थी और उनपर हाथ तक उठा दिया था. उस दिन आरा में लोगों के गुस्से का शिकार विधायक से लेकर पुलिस और मीडिया वाले तक बन रहे थे. मुखिया की हत्या के बाद देर शाम उनके शव का पोस्टमार्टम हुआ और अगले दिन यानी 2 जून को उनकी शव यात्रा निकली थी. पिता की हत्या के बाद उनके बेटे इंदुभूषण सिंह ने आरा के नवादा थाना में अज्ञात के विरुद्ध केस दर्ज कराया था, जिसके बाद बिहार सरकार ने पहले एसआइटी का गठन किया और सच सामने नहीं आने पर सीबीआई जांच का आदेश दिया था. इस हाईप्रोफाइल मर्डर केस में कई बड़े लोगों का नाम सामने आया. अब सीबीआई ने हुलास पाण्डेय समेत आठ लोगों को आरोपी बनाया है.पूरक आरोप पत्र के अनुसार हुलास पांडे ने सात अन्य आरोपियों के साथ मिलकर ब्रह्मेश्वर नाथ सिंह उर्फ बामेश्वर मुखिया की हत्या का षड्यंत्र रचा और उन्हें गोलियों से भून डाला था.

CBI की पूरक चार्जशीट में कहा गया है कि साजिश के तहत मुखिया के मर्डर से पहले सभी आरोपी आरा के कतिरा मोड़ पर 1 जून 2012 की अहले सुबह 4 बजे एकत्र हुए थे, जिसके बाद इस मर्डर को अंजाम दिया गया था. 1 जून की सुबह रणवीर सेना के सुप्रीमो रहे ब्रह्मेश्वर मुखिया की उस वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जब वो अपने रोज की दिनचर्या के तहत सुबह टहलने के लिए निकले थे. आरोपों के मुताबिक नजदीक से छह गोलियां मारकर हुलास पांडेय समेत अन्य लोगों ने उनकी हत्या कर दी. ये सभी गोलियां देसी पिस्तौल से चलाई गई थीं. इस केस की जांच घटना के एक साल बाद ही सीबीआई को दे दी गई थी.


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