बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

सबसे पहने किसने बांधी थी भाई के हाथ पर राखी, कैसी हुई थी इस पवित्र त्योहार की शुरूआत, जानें रक्षाबंधन से जुड़ी ये खास कथा...

सबसे पहने किसने बांधी थी भाई के हाथ पर राखी, कैसी हुई थी इस पवित्र त्योहार की शुरूआत, जानें रक्षाबंधन से जुड़ी ये खास कथा...

PATNA: रक्षाबंधन का त्योहार कल यानी 19 अगस्त को पूरे देश में धूम धाम से मनाया जाएगा। इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया है जिसके कारण राखी 1 बजे के बाद बांधी जाएगी। रक्षाबंधन पवित्र पर्व श्रवण शुक्ल पूर्णिया तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बंधती हैं। राखी को लेकर कई पौराणिक कथाएं भी प्रचलित है। माना जाता है राखी की शुरूआत सबसे पहले महाभारत से हुई थी। जब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण की चोट पर अपने साड़ी को फाड़ कर पट्टी बांधी थी। वहीं कई लोगों का मानना है कि सबसे पहले लक्ष्मी माँ ने अपने भाई को राखी बांधी थी। 

आइए हम आज इन दोनों कथाओं को जानते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माना जाता है कि रक्षाबंधन की शुरुआत कृष्ण व द्रौपदी से हुई थी। कृष्ण भगवान ने दुष्ट राजा शिशुपाल को मारा था। युद्ध के दौरान कृष्ण के बाएं हाथ की अंगूली से खून बह रहा था। इसे देखकर द्रौपदी बेहद दुखी हुईं और उन्होंने अपनी साड़ी का टुकड़ा चीरकर कृष्ण की अंगुली में बांधा, जिससे उनका खून बहना बंद हो गया। तभी से कृष्ण ने द्रौपदी को अपनी बहन स्वीकार कर लिया था।

वर्षों बाद जब पांडव द्रौपदी को जुए में हार गए थे और भरी सभा में उनका चीरहरण हो रहा था। तब कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई थी। ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार, रक्षाबंधन की शुरुआत रानी कर्णावती व सम्राट हुमायूं के बीच हुई। मध्यकालीन युग में राजपूत व मुस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा था। रानी कर्णावती चितौड़ के राजा की विधवा थीं। उस दौरान गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख रानी ने हुमायूं को राखी भेजी थी। तब हुमायूं ने उनकी रक्षा कर उन्हें बहन का दर्जा दिया था।

वहीं दूसरी ओर, धार्मिक कथाओं के अनुसार जब राजा बलि ने अश्वमेध यज्ञ करवाया था तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांग ली थी। राजा ने तीन पग धरती देने के लिए हां बोल दिया था। राजा के हां बोलते ही भगवान विष्णु ने आकार बढ़ा कर लिया है और तीन पग में ही पूरी धरती नाप ली है और राजा बलि को रहने के लिए पाताल लोक दे दिया।

तब राजा बलि ने भगवान विष्णु से एक वरदान मांगा कि भगवन मैं जब भी देखूं तो सिर्फ आपको ही देखूं। सोते जागते हर क्षण मैं आपको ही देखना चाहता हूं। भगवान ने राजा बलि को ये वरदान दे दिया और राजा के साथ पाताल लोक में ही रहने लगे। भगवान विष्णु के राजा के साथ रहने की वजह से माता लक्ष्मी चिंतित हो गईं और नारद जी को सारी बात बताई। तब नारद  जी ने माता लक्ष्मी को भगवान विष्णु को वापस लाने का उपाय बताया। नारद जी ने माता लक्ष्मी से कहा कि आप राजा बलि को अपना भाई बना लिजिए और भगवान विष्णु को मांग लिजिए।

नारद जी की बात सुनकर माता लक्ष्मी राजा बलि के पास भेष बदलकर गईं और उनके पास जाते ही रोने लगीं। राजा बलि ने जब माता लक्ष्मी से रोने का कारण पूछा तो मां ने कहा कि उनका कोई भाई नहीं है इसलिए वो रो रही हैं। राजा ने मां की बात सुनकर कहा कि आज से मैं आपका भाई हूं। माता लक्ष्मी ने तब राजा बलि को राखी बांधी और उनके भगवान विष्णु को मांग लिया है। ऐसा माना जाता है कि तभी से भाई- बहन का यह पावन पर्व मनाया जाता है।

Editor's Picks