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कांग्रेस की वर्किंग कमेटी में कन्हैया कुमार को क्यों मिली अहम जिम्मेदारी, लोकसभा चुनाव 2024 में पार्टी कौन सा खेलेगी दांव?

कांग्रेस की वर्किंग कमेटी में कन्हैया कुमार को क्यों मिली अहम जिम्मेदारी, लोकसभा चुनाव 2024 में पार्टी कौन सा खेलेगी दांव?

पटना- जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय की नारेबाजी मामले से चर्चा में आए सीधे सीपीआई के टिकट पर बेगूसराय सीट से भाजपा के फायर ब्रांड नेता गिरिराज सिंह के सामने चुनाव में उतर गए थे. हार के बाद वह कांग्रेस में गए और इसकी छात्र इकाई की शक्ति का केंद्र बने. कांग्रेस वर्किंग कमिटी के 39 सदस्यों में कन्हैया का नाम नहीं है. उन्हें इंचार्ज की सूची में रखा गया है, जिसमें बिहार प्रभारी भक्त चरण दास भी हैं. इंचार्ज के रूप में वह कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक में उपस्थित रहेंगे.

लोकसभा चुनाव 2024 में कन्हैया कुमार के  बेगूसराय की सीट पर ताल ठोकने के कयास लगाए जा रहे हैं. गिरिराज सिंह को 2019 के लोकसभा चुनाव में 6,92,193 वोट मिले थे, जबकि कन्हैया कुमार को 2,69,976 वोटों से संतोष करना पड़ा था. इस चुनाव में कुल 10 प्रत्याशी अंतिम तौर पर मैदान में थे, जिनमें से आठ की जमानत जब्त हो गई थी.

जातीय समीकरणों की बदौलत राजनीति की नैया पार लगाने वाले बिहार में बेगूसराय सीट जाति के लिहाज से भी काफी अहम मानी जाती है. करीब 17 लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर भूमिहार जाति के मतदाता सर्वाधिक संख्या में हैं और चुनाव इस सीट पर कोई भी पार्टी जीते,  भूमिहार की भूमिका महत्वपूर्ण होती है.

कन्हैया कुमार इस समीकरण के चलते भी कोई कमजोर उम्मीदवार साबित नहीं होंगे क्योंकि वे खुद इसी जाति के हैं. भाजपा से गिरिराज सिंह अगर यहां से चुनाव लड़ते हैं तो लड़ाई  दिलचस्प होने की संभावना. कन्हैया अच्छे वक्ता के रूप में जाने जाते हैं. कांग्रेस ने बिहार में जो सांगठनिक बदलाव किए हैं, वह कन्हैया कुमार के अनुकूल है. यह भी संभवना जताई जा रही  है कि इसमें कन्हैया का ही दिमाग हो . अपने पारंपरिक वोट बैंक की ओर यानी सवर्णों को एक बार फिर तरजीह देने की कांग्रेस ने योजना बनाई है. कांग्रेस की बिहार प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अखिलेश सिंह सवर्ण (भूमिहार) हैं तो जिला इकाइयों में सर्वाधिक संख्या सवर्णों की है. कन्हैया कुमार भी सवर्ण  हैं.

 बहरहाल लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बिहार का किला भेजने की तैयारी शुरु हो चुकी है, इसके लिए कांग्रेस कन्हैया कुमार को तरजीह देकर बता रही है कि वो राजनीतिक खेल में किसी से पीछे रहने वाली नहीं है.


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