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कतर में 8 पूर्व नौसैनिकों को कोर्ट ने क्यों सुनाई मौत की सजा और भारत के पास क्या है विकल्प, कैसे बचेगी आठ भरतवंशियों की जान?

कतर में 8 पूर्व नौसैनिकों को कोर्ट ने क्यों सुनाई मौत की सजा और भारत के पास क्या है विकल्प, कैसे बचेगी आठ भरतवंशियों की जान?

DESK  -  भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को कतर  की अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाए जाने पर भारत ने कहा कि वह इस फैसले से बेहद ‘हैरान'है. भारत सरकार द्वारा इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है. ये सभी आठ भारतीय नागरिक 'अल दाहरा कंपनी' के कर्मचारी हैं, जिन्हें पिछले साल जासूसी के कथित मामले में हिरासत में ले लिया गया था. कतर के अधिकारियों की ओर से भारतीयों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया गया है.इनके परिवारों को भी लगाये गए आरोपों की जानकारी नहीं दी गई है. भारत कतर की एक अदालत के उस फैसले से स्तब्ध है, जिसमें आठ पूर्व नौसेना कर्मियों को मौत की सजा दी गई है.यह मोदी सरकार की अग्नि परीक्षा होगी क्योंकि कतर के साथ भारत के रिश्ते उतने मधुर नहीं हैं जितने यूएई और सऊदी अरब के साथ हैं. जिन आठ लोगों को कतर में फांसी दी गई है, वे सभी भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी हैं और एक डिफेंस सर्विसेज देने वाली ओमान की कंपनी के लिये काम कर रहे थे. नौसेना कर्मियों पर इस साल मार्च में मुकदमा शुरू हुआ था और कतर स्थित भारतीय दूतावास इस मामले में कार्रवाई करता रहा है. मामले में केंद्र सरकार से तुरंत हस्तक्षेप करने का दबाव पीड़ितों के परिजनों की तरफ से बढ़ रहा है. 

पूर्व नौसेना कर्मी एक ओमानी नागरिक की कंपनी दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजिज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिये कतर में सेवाएं दे रहे थे. कतर की सुरक्षा एजेंसी ने इस कंपनी के मालिक को भी गिरफ्तार किया था, लेकिन उसे पिछले साल के अंत में छोड़ दिया गया था. यह कंपनी कतर की एक कंपनी के लिये सेवाएं उपलब्ध करा रही थी.मौत की सजा पाने वालों में एक पूर्व नौसेना कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, जो इस ओमानी कंपनी में प्रबंध निदेशक थे, भी शामिल हैं. उन्हें विगत में भारत और  कतर के बीच संबंध सुधारने में योगदान हेतु प्रवासी भारतीय सम्मान दिया गया था.

 सजा पाने वाले पूर्व अधिकारियों के परिजन खासे चिंतित हैं. इनमें से कई वरिष्ठ नागरिक होने के साथ कई तरह के उम्र से जुड़े रोगों से जूझ रहे हैं. उनका कहना है कि इन लोगों ने लंबे समय तक नौसेना अधिकारियों के रूप में देश की सेवा की है, तो जब इन पर संकट आया है तो देश को प्राथमिकता के आधार पर इन्हें राहत देने का प्रयास करना चाहिए. कतर में करीब नौ लाख भारतीय कार्यरत हैं. ऐसे में कतर से संबंध खराब करके भारत सरकार उनके लिये मुश्किल नहीं खड़ी कर सकती. शरिया कानूनों पर चलने वाली कतर की अदालत शायद ही अपने फैसले से पीछे हटे, लेकिन उम्मीद की किरण कतर के अमीर को लेकर है,जो विशेष परिस्थितियों में क्षमादान देने की शक्ति रखते हैं.

बता दें भारत के पास पांच विकल्प हैं -पहली अपील करना, दूसरा मामले को राजनयिक स्तर पर आगे बढ़ाना, तीसरा इसे शिखर स्तर पर आगे बढ़ाना और चौथा अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाना. पांचवा कतर के अमीर क्षमादान देदें. इसके बाद भी यदि सब कुछ विफल हो जाए, तो अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय  में जाना. पाकिस्तान में मौत की सजा पाए पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव के मामले में मामला अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय  में उठाया गया था. पाकिस्तान ने जाधव को रिहा नहीं किया है, लेकिन मौत की सजा पर अमल भी नहीं किया है.

अगस्त 2022 में गिरफ्तार किए गए भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों में कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर संजीव गुप्ता, कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ और नाविक रागेश गोपकुमार शामिल हैं.सभी पूर्व नौसेना अधिकारियों का भारतीय नौसेना में 20 वर्षों तक का विशिष्ट सेवा रिकॉर्ड है और उन्होंने सैनिकों में प्रशिक्षकों सहित महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया था.

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