KATIHAR : आधुनिकता के दौर में परंपरा से जुड़ी कई परम्परा विलुप्त होने के कगार पर हैं,ऐसी ही एक परंपरा आज भी सुदूर इलाके में पमारिया समाज के लोगो ने जिंदा रखा है,पमारिया समाज के लोग आज भी किसी के घर में बेटा या बेटी होने पर अपने पारंपरिक अंदाज में बधाई गीत गाने के लिए पहुंचते हैं, किन्नर समाज से अलग इस समाज के पुरुष महिला के पोशाक पहनकर बच्चों को गोदी में लेकर नाच गाकर बधाई गीत गाते हुए उसकी लंबी आयु और जिंदगी में सफल होने की दुआ करते हैं।
कटिहार के फलका सोथा के रहने वाले बासो पमेरिया कहते हैं कि वे लोग 40 वर्ष से अधिक समय से इसी पेशा से जुड़े हुए हैं मान्यता यह है कि पमरिया समाज के लोग राजा दशरथ के दरबार में भी बधाई गीत गाने के लिए पहुंचे थे, इन लोगों के माने तो यह लोग आज भी सीमांचल के कई इलाकों तक अपने इसी रोजगार को लेकर किसी तरह दो वक्त की रोटी जुटा रहे हैं, बड़ी बात यह है बेटा या बेटी के जन्म पर बधाई देने पहुंचने वाले पमेरिया भी बेटा बेटी में फर्क नही करने का संदेश दे रहे हैं।
परंपरा को बचाने को कोशिश
वहीं पमेरिया समाज को लेकर सामाजिक बुद्धिजीवी लोग भी आधुनिकता के बावजूद समाज निर्माण में खासकर खुशी के मौके पर इस समाज द्वारा बधाई गीत की इस रिवाज को जारी रखने की वकालत कर रहे है। लोगों का कहना है कि आज किसी बच्चे के जन्म पर उन्हें आशीर्वाद देनेवाला भी कोई नहीं होता है। ऐसे में पमेरिया समाज की जरुरत आज ज्यादा है।
श्याम की रिपोर्ट