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महिला आरक्षण के लाभ के लिए करना होगा 2034 के लोकसभा चुनावों तक इंतजार ! संविधान संशोधन है बड़ी बाधा

महिला आरक्षण के लाभ के लिए करना होगा 2034 के लोकसभा चुनावों तक इंतजार ! संविधान संशोधन है बड़ी बाधा

पटना. महिला आरक्षण को लेकर भले ही यह दावा किया जा रहा हो कि देश की आधी आबादी को लोकसभा और विधानसभाओं में 33 फीसदी हिस्सेदारी मिल गई है. लेकिन संविधान के 84वें संशोधन पर गौर करें तो महिलाओं को आरक्षण का लाभ मिलने में अगले 10 साल लग सकते हैं. यानी 2024 और 2029 नहीं बल्कि 2034 के लोकसभा चुनावों में जाकर महिला आरक्षण क्रियान्वित हो पायेगा. 

दरअसल, 2001 में वाजपेयी सरकार ने 84वाँ संविधान संशोधन के माध्यम से संविधान के आर्टिकल 81(3) में बदलाव किया था. इस संशोधन के अनुसार जनगणना आधारित परिसीमन पर 2026 तक रोक लगा दी गई है. यानी लोकसभा या विधानसभाओं के लिए नया परिसीमन वर्ष 2026 के बाद ही संभव है. चुकी वर्ष 2021 में जनगणना होनी थी लेकिन वह अभी तक नहीं हुई है. ऐसे में जनगणना अगले एक से दो साल में अगर होती है तो इसके लिए एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना होगा. 

देश में आखिरी बार आख़िरी बार,जनगणना आधारित परिसीमन 1971 में हुआ था. अब 2026 के बाद जनगणना आधारित परिसीमन होने के लिए मोदी सरकार को नया संविधान संधोधन लाकर, इस रोक को हटाना होगा नहीं तो 2031 की जनगणना के बाद ही परिसीमन संभव होगा. हालांकि अगर महिला आरक्षण यानी नारी शक्ति वंदन अधिनियम में संविधान संधोधन को शामिल कर जनगणना आधारित परिसीमन के प्रावधान को बदला जाता है तो यह लोकसभा चुनाव 2029 में लागू हो सकता है. 

वहीं जानकारों का मानना है कि यदि मोदी सरकार परिसीमन को जनगणना से संबद्ध रखती है, जैसा कि बिल में लिखा है, तो वर्तमान महिला आरक्षण विधेयक 2034 के चुनाव तक खींच सकता है. भले ही अब महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा में लागू हो जाए लेकिन इसके चुनावों में लाभ के लिए महिलाओं को अभी लम्बा इंतजार करना पड़ सकता है. यह 84वें संविधान संशोधन के अनुरूप रहता है तो 2031 की जनगणना के बाद ही परिसीमन संभव होगा. या फिर अगर बहुत जल्दी हुआ तो इसके लिए 2029 तक के लोकसभा चुनाव का इंतजार करना होगा. 

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