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नीतीश का 'मिशन' होगा कामयाब? दलित समाज की आवाज 'मायावती' समेत कई नेताओं से CM नीतीश नहीं कर सके मुलाकात, 'पवार' से भी हुई छोटी मीटिंग

नीतीश का 'मिशन' होगा कामयाब? दलित समाज की आवाज 'मायावती' समेत कई नेताओं से CM नीतीश नहीं कर सके मुलाकात, 'पवार' से भी हुई छोटी मीटिंग

PATNA: नीतीश कुमार का चार दिवसीय दिल्ली दौरा समाप्त हो गया है। वे विपक्षी नेताओं से बातचीत करने 5 सितंबर को पटना से दिल्ली गये थे। आज 8 सितंबर को वे दिल्ली से सीधे गया पहुंचे हैं। इन चार दिनों में नीतीश कुमार का धुआंधार कार्यक्रम रहा। सीएम नीतीश ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत विपक्ष के कई बड़े नेताओं से मुलाकात की और पीएम मोदी के खिलाफ एक साथ खड़ा होने का आह्वान किया। साथ ही यह भी कहा कि वे प्रधानमंत्री के कैंडिडेट नहीं हैं। पीएम कैंडिडेट के लिए हमलोग बैठेंगे, उसमें विचार होगा। हालांकि विपक्ष के कई बड़े नेताओं से नीतीश कुमार की मुलाकात नहीं हो सकी। मुलाकात नहीं होने की वजह क्या रही, यह साफ नहीं है। कहा जा रहा है कि कुछ नेता ऐसे हैं जो इनके मुहिम में दिलचस्पी नहीं ले रहे या फिर इन पर विश्वास नहीं जता रहे। 

मेन फ्रंट बनाने की कोशिश में नीतीश 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अगले चुनाव में भाजपा को रोकने का बीड़ा उठाया है। इस काम के लिए वे कांग्रेस समेत संपूर्ण विपक्ष का मेन फ्रंट बनाना चाह रहे हैं. सबसे पहले उन्होंने तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर के साथ पटना में मीटिंग की। बैठक के माध्यम से नीतीश कुमार ने विपक्ष की गोलबंदी का मैसेज देने की कोशिश की। जानकार बताते हैं कि इस बैठक का कोई खास नतीजा नहीं निकला। इसके बाद नीतीश कुमार देश की राजधानी दिल्ली पहुंच गये। सोमवार को दिल्ली जाने से पहले नीतीश कुमार ने राबड़ी देवी के आवास जाकर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से मुलाकात की। दोनों के बीच बातचीत हुई,फिर मुख्यमंत्री दिल्ली के लिए निकल गये.राजनीतिक जानकार बताते हैं कि लालू प्रसाद ने ही राहुल गांधी समेत विपक्ष के कई नेताओं को फोन कर नीतीश कुमार के साथ मीटिंग के लिए तैयार किय़ा था। दिल्ली जाते ही मुख्यमंत्री ने सबसे पहले कांग्रेस पार्टी की तरफ से पीएम कैंडिडेट राहुल गांधी से मुलाकात की। करीब चालीस मिनट की बैठक में खास नतीजा निकला इसकी उम्मीद न के बराबर है. क्यों कि नीतीश कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि मैडम (सेनिया गांधी) दिल्ली में नहीं थीं. उनसे मुलाकात करने एक बार फिर से दिल्ली आयेंगे। 

बड़े-बड़े क्षेत्रीय क्षत्रपों से नीतीश की मुलाकात

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पांच सितंबर को राहुल गांधी के साथ-साथ पूर्व प्रधानमंत्री देवगौडा के बेटे पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी से मुलाकात की। दोनों की मुलाकात की तस्वीर भी जारी की गई। अगले दिन यानी 6 सितंबर को नीतीश कुमार वामपंथी दोनों धड़े के बड़े चेहरे सीताराम येचूरी और डी. राजा के साथ बैठक की। फिर उसी दिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ बैठे। दोनों नेताओं के बीच विपक्षी एका पर बातचीत हुई। मंगलवार को ही नीतीश कुमार ने हरियाणा के पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला, मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव से भी। इसके बाद कभी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाये गये शरद यादव से भी नीतीश कुमार ने मुलाकात की और विपक्ष की गोलबंदी पर बातचीत की। 

शऱद पवार के साथ महज 20 मिनट की बातचीत 

सात सितंबर को नीतीश कुमार ने सीपीआई(माले) के राष्ट्रीय महसाचिव दीपांकर भट्टाचार्य के साथ भी बैठक की। इसके बाद विपक्ष के बड़े चहेरे और एनसीपी चीफ शरद पवार के साथ मुलाकात की। हालांकि शरद पवार के साथ सीएम नीतीश की मीटिंग काफी कम देर की रही। जानकार बताते हैं कि दोनों नेताओं के बीच महज 20 मिनट की ही बातचीत हुई। अब समझ सकते हैं कि छोटी बैठक का नतीजा क्या हुआ होगा? इतने बड़े काम के लिए महज 20 मिनट की बातचीत से आप खुद अँदाजा लगा सकते हैं.शरद पवार से मुलाकात के बाद बिहार के मुख्यमंत्री बुधवार की शाम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी शिष्टाचार मुलाकात की। 

दलित समाज के बड़े चेहरे ने नीतीश से बनाई दूरी !

नीतीश कुमार जिस विपक्ष एकता को लेकर निकल पड़े हैं उनमें ममता बनर्जी, नवीन पटनायक,फारूख अब्दुल्ला-उमर अब्दुल्ला,और यूपी की पूर्व सीएम मायावती बड़ा फैक्टर हैं. मायावती दलित समाज की बड़ी नेत्री हैं. वे यूपी की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. इनका आधार दलित समाज में हैं। हालांकि यूपी चुनान में इनकी पार्टी बसपा ने खास प्रदर्शन नहीं किया है। फिर भी यूपी समेत पड़ोसी राज्यों में दलित  वर्ग में मायावती की पकड़ बरकरार है। 2020 विधानसभा चुनाव में बिहार में भी यूपी से सटे इलाके से बसपा के एक कैंडिडेट जीतने में सफल हुए थे। हालांकि बाद में नीतीश कुमार ने बसपा के एक मात्र विधायक जमां खान को तोड़कर अपनी पार्टी में मिला लिया था। इस बार नीतीश कुमार की बसपा सुप्रीमो मायावती से मुलाकात नहीं हो सकी। जानकार बताते हैं कि उन्होंने मायावती से मुलाकात की कोशिश की, लेकिन बसपा सुप्रीमो ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। हालांकि कहा जा रहा है कि वे दिल्ली में नहीं थी,इस वजह से उनसे मुलाकात संभव नहीं हो सका। 

अगली दफे विपक्ष के ये नेता सीएम नीतीश से मिलने को होंगे तैयार? 

फारूख अब्दूल्ला-उमर अब्दुल्ला से भी नीतीश कुमार की मुलाकात नहीं हो पाई। ममला बनर्जी भी दिल्ली नहीं आईं। कहा जा रहा है कि विपक्षी एकता पर नीतीश कुमार की ममता बनर्जी से फोन पर बातचीत हुई है। उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी अब तक नीतीश कुमार से दूर ही हैं। वहीं शिरोमणी अकाली दल जो कभी बीजेपी की सहयोगी पार्टी हुआ करती थी,अब नहीं है उसके नेता प्रकाश सिंह बादल-सुखबीर बादल से भी नीतीश कुमार की मुलाकात संभव नहीं हुई। हालांकि मुख्यमंत्री की तरफ से कहा गया है कि सोनिया गांधी देश से बाहर हैं, उनसे मुलाकात करने वे एक बार और दिल्ली आयेंगे। अन्य विपक्षी नेताओं से नीतीश कुमार की मीटिंग होगी या नहीं,यह अभी तय नहीं है। अगर इन नेताओं ने दिलचस्पी नहीं दिखाई तो फिर नीतीश कुमार के मेन फ्रंट का मिशन फेल हो सकता है। विपक्षी नेताओं से मुलाकात के बाद सीएम नीतीश ने कहा कि हमने सभी लोगों से बात की है। सभी नेता इस बात पर एक राय हैं कि भाजपा रोकना जरूरी है। सभी दल के लोग आपस में बातचीत करेंगे. हमलोगों का तीसरा फ्रंट नहीं बल्कि मेन फ्रंट होगा. अब देखना होगा कि नीतीश कुमार जिस मिशन में लगे हैं वो कितना कामयाब हो पाता है. 




  


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