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अखिलेश से रिश्ता टूटने के बाद अब योगी का दामन थाम सकते हैं ओपी राजभर, यूपी की राजनीति में चर्चाएं तेज

अखिलेश से रिश्ता टूटने के बाद अब योगी का दामन थाम सकते हैं ओपी राजभर, यूपी की राजनीति में चर्चाएं तेज

DESK : यूपी की राजनीति में दो दिन पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सुभासपा से अपनी राजनीतिक गठबंधन खत्म करने की घोषणा की थी। जिसके बाद से सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के अगले कदम को लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं। बताया जा रहा है अब ओपी राजभर भाजपा के साथ जा सकते हैं और इस संबंध में जल्द ही उनकी मुलाकात भाजपा के बड़े नेताओं से हो सकती है। इससे पहले यह अटकलें लगाई जा रही थी कि राजभर मायावती की पार्टी बसपा से हाथ मिल सकते हैं। लेकिन इसकी संभावना काफी कम नजर आ रही है।

 सूत्रों का कहना है कि राजभर को लेकर ताजा अटकलें यह हैं कि अगले एक सप्ताह के अंदर उनकी मुलाकात भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से होने वाली है। जिसमें यह तय होगा कि आमचुनाव 2024 में साथ-साथ चलने के लिए राजभर की किस तरह प्रदेश की सत्ता में समायोजित किया जाए। 

निगाहें एमएलसी की एक सीट पर

गठबंधन टूटने से सुभासपा के नेता व कार्यकर्ता खुश हैं। उन्हें महसूस हो रहा है कि जल्द ही उनकी भागीदारी सत्ता में होगी। नजरें एमएलसी की दो सीटों में से एक पर है। भाजपा केंद्रीय नेतृत्व राजभर को साथ लाने के लिए एक सीट दे भी सकता है। इसके अलावा निगमों, बोर्डों, आयोगों में इनके कुछ नेताओं को जगह दिया जा सकता है। 

लोकसभा उप चुनाव में हार के लिए अखिलेश को बताया था जिम्मेदार

सपा से अलगाव की पटकथा विधानसभा चुनाव के तत्काल बाद से लिखी जाने लगी थी। दिल्ली में भाजपा नेता धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात के बाद राजभर की नजदीकियां फिर से भाजपा के केंद्रीय और प्रदेश के नेताओं से बढ़ने लगीं। इन नजदीकियों की हर सूचनाएं सपा मुखिया अखिलेश को हो गई थी जिसके बाद से उन्होंने अहम फैसलों में राजभर को साथ लाने से परहेज करना शुरू कर दिया। इसके बाद हाल में ही हुए लोकसभा की दो सीटों पर हुए उप चुनाव में सपा को मिली हार के लिए भी राजभर ने अखिलेश को ही जिम्मेदार ठहराया था। हार के बाद राजभर ने कहा था इन दोनों जगहों पर अखिलेश ने कोई सभाएं नहीं की। वहीं रही सही कसर राष्ट्रपति  चुनाव ने पूरी कर दी। जिसमें राजभर ने खुलकर द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया था। जिसके बाद दोनों पार्टियों के रिश्ते लगभग खत्म हो गये थे, सिर्फ औपचारिकता बाकि थी।



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