DESK : बच्चे की डिलिवरी के लिए अपने पति के साथ घर जा रही एक महिला को चलती ट्रेन में प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। जिसके बाद यात्रियों के सहयोग से उसे अस्पताल भेजने की व्यवस्था की गई। लेकिन मदद मिलने में देरी होने के कारण जच्चा-बच्चा दोनों की मौत हो गई।
यह पूरी घटना झारखंड के लातेहार रेलवे स्टेशन से जुड़ी है। बताया गया कि रांची जिले के खलारी स्थित अनवर अंसारी के एक ईंट भट्ठे में मजदूरी का काम करने वाले दपंती विनोद मांझी व उसकी पत्नी रंजू देवी अपने चार बच्चों के साथ बरकाकाना से पटना जा रही पलामू एक्सप्रेस यात्री ट्रेन में सवार होकर अपने घर गया जिले के कुरकीहार जा रहे थे।
ट्रेन लातेहार स्टेशन पहुंचने वाली थी कि महिला ट्रेन के बाथरूम में गई और वहीं उसे प्रसव पीड़ा होने लगी कराहने की आवाज सुनने के बाद लोगों ने इसकी सूचना लातेहार के आन डयूटी स्टेशन मास्टर बलवंत नारायण सिंह को दी। साथ ही कुछ महिलाओं की मदद से महिला का प्रसव कराया गया।
स्टेशन मास्टर ने दोनों को भेजा अस्पताल
प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा दोनों बेहोश हो गए। तभी ट्रेन लातेहार रेलवे स्टेशन पर आकर रूकी। तत्काल स्टेशन मास्टर ने मामले की नजाकत को समझकर ट्रेन को रूकवा दिया और मामले की जानकारी लातेहार स्वास्थ्य विभाग को दी और तत्काल एंबुलेंस और चिकित्सीय टीम भेजने का आग्रह किया।
लेकिन सूचना देने के आधे घंटे के बाद एंबुलेंस लेकर टीम मौके पर पहुंची और जच्चा-बच्चा को लेकर सदर अस्पताल चली गई। इस दौरान दोनों की हालत और खराब हो गई। लोगों ने बताया कि जच्चा-बच्चा दोनों बेहोश थे लेकिन सांसें चल रही थीं, सबने दोनों की कुशलता के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। लेकिन, इसका फायदा नहीं हुआ, सदर अस्पताल आने के बाद जच्चा-बच्चा की मौत के बात कही गई।
रेलवे को बताया जिम्मेदार
सदर अस्पताल प्रबंधन ने जच्चा-बच्चा की मौत पर अपना बचाव करते हुए रेल कर्मियों पर ठिकरा फोड़ दिया। अस्पताल की ओर से जारी पत्र में लिखा हुआ कि मृतक के स्वजनों ने बताया कि चलती रेलगाड़ी में प्रसव होने के बाद एंबुलेंस और चिकित्सीय मदद के लिए देर से सूचना दी गई जिसके कारण अस्पताल आने में विलंब हुआ। सिविल सर्जन ने बताया कि मामले की जानकारी मिलते ही तत्काल चिकित्सीय मदद के लिए विभागीय कर्मी सक्रिय हो गए थे। माैके पर तत्काल एंबुलेंस भी भेजी गई थी।