उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालकी कार्तिक-मार्गशीर्ष (अगहन) माह में निकलने वाली सवारियों के क्रम में अगहन मास की अंतिम एवं शाही सवारी धूमधाम से निकाली गई। अवंतिकानाथ ने चांदी की पालकी में सवार होकर शाही अंदाज में ठाट-बाट के साथ नगर का भ्रमण कर अपनी प्रजा का हाल जाना। इस दौरान भगवान महाकाल ने मनमहेश स्वरूप में अपने भक्तों को दर्शन दिया। सवारी में लाखों श्रद्धालु शामिल हुए और भगवान महाकाल के दर्शन किए।
मंदिर के सभामंडप में भगवान महाकालेश्वर के मनमहेश स्वरूप का विधिवत पूजन-अर्चन किया गया। इसके बाद सवारी नगर भ्रमण के लिए रवाना हुई। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र बलों ने भगवान महाकाल को सलामी दी। इसके बाद सवारी शिप्रा तट की ओर रवाना हुई। सवारी में सबसे आगे महाकालेश्वर मंदिर का रजत ध्वज और उसके पीछे पुलिस का अश्वरोही दल, पुलिस बैंड, सशस्त्र बल की टुकड़ियां चल रही थीं। शाही सवारी में परंपरागत नौ भजन मंडलियां भी शामिल हुईं।
महाकाल मंदिर प्रबंधन समिति के प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने बताया कि यह सवारी करीब सात किमी की रहती है। महाकाल की सवारी का रास्ते भर श्रद्धालुओं द्वारा स्वागत किया गया। शाही सवारी पर महाकाल का दर्शन करने के लिए देशभर से लाखों भक्त यहां आए। पालकी निकलते ही दोनों तरफ से महाकाल पर पुष्प वर्षा की गई। पालकी के साथ चल रहे भक्तों पर भी पुष्प बरसाए गए।