मोतिहारी. वाह रे मोतिहारी का शिक्षा विभाग. गड़बड़ी का मामला उजागर होने के 21 माह बाद भी 89 विद्यालयों का जांच अधर में लटका हुआ है। डीएम के जांच के आदेश के बाद भी शिक्षा विभाग की कुंभकर्णी नींद नही खुली। विभागीय उदासीनता से स्कूल में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चे खुशनुमा माहौल बनाने के लिए टुकुर टुकुर देखते रह गए। वही अफसर व कर्मी दोनों हाथ से माल बटोरकर मालामाल होने के आरोपित हो रहे हैं । सूत्रों की माने तो डीपीओ एसएसए कार्यालय में कार्यरत कुछ कर्मी कार्यालय का काम कम सप्लायर का काम कर 50 -50 का खेल में अधिक रहते है। डीपीओ एसएसए कार्यालय के एक संविदा कर्मी वरीय पदादिकारी का धौस दिखाकर समान सप्लाई कर करोड़ो की संपति अर्जित करने की महारत हासिल किया है ।
जिला के 89 विद्यालयों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर नौनिहालों के खुशनुमा माहौल के लिए 30 -30 हज़ार की राशि खिलौना सहित सामग्री खरीदने के लिए शिक्षा विभाग से मिला था। लेकिन कार्यालय कर्मियों व एचएम ने बिना सीडीपीओ ,शिक्षा समिति व सेविका के जनकारी के ही 50 -50 का खेल खेलकर राशि का गबन कर दिए । वर्ष 2021 के अगस्त माह में मामला उजागर होने के बाद डीपीओ एसएसए द्वारा 89 विद्यालयों के जांच के लिए तीन सदस्यीय कमिटी के गठन किया गया।वही जिला प्रशासन भी जांच का आदेश दिया था। अब 21 माह बीतने के बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारी व कर्मी फाइल दबाकर रखे हुए है। अब सवाल उठता है कि किसको बचाने में जुटे है अधिकारी? जांच इतने सुस्त होने का क्या कारण है?सहित कई सवालों को जन्म दे रहा शिक्षा विभाग की उदासीनता।
क्या था पूरा मामला : मोतिहारी के शिक्षा विभाग में भारी गड़बड़ी की बातें कही गई हैं. विद्यालय परिसर में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों के सशक्तिकरण व खुशनुमा माहौल बनाने के लिए जिला प्राथमिक शिक्षा द्वारा चयनित विद्यालयों में 30-30 हजार रू को दिया गया था. लेकिन नियम को ताक पर रखकर बिना सीडीपीओ कार्यालय से सम्पर्क किये विद्यालय के एचएम से राशि निकलवाकर जिला प्राथमिक शिक्षा एवम समग्र विभाग द्वारा बंदरबाट कर लिया गया। सूत्रों की मानें तो इस खेल में बीआरसी कार्यालय भी शामिल है। जिस स्कूल में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित नहीं हो रही थी वहां भी राशि भेजकर जिला प्राथमिक समग्र शिक्षा कार्यालय व एचएम मिलकर सरकारी राशि गटक गए । वहीं आंगनबाड़ी केंद्र पर जाने वाले बच्चे खिलौना के लिए टुकुर टुकुर ताकते रह गए।
आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों के सशक्तिकरण व खुशनुमा माहौल बनाने के लिए खिलौना, म्यूजियम, वजन मापने वाला मशीन, बच्चों के लिए दरी, मैट , दीवाल लेखन सहित सामग्री के लिए प्रति विद्यालय 30 -30 हज़ार की राशि भेजी गई थी। जिला प्राथमिक शिक्षा व समग्र विभाग व एचएम के मिली भगत से वैसे विद्यालयों में भी राशि भेजी गई जिस विद्यालय परिसर में आंगनबाड़ी केंद्र चलता ही नही है। वहीं एचएम से मिलकर जिला प्राथमिक शिक्षा व समग्र कार्यालय द्वारा राशि निकासी कर बंदरबाट करते हुए एक छोटा आलमीरा खरीद कर स्कूल में भेज राशि का बंदरबाट कर लिया गया।
नियम के अनुसार विद्यालय एचएम को सीडीपीओ व सेविका से मिलकर आवश्यक सामान की सूची लेकर खरीदारी करनी थी। विभाग द्वारा राशि स्कूल शिक्षा समिति के खाते में भेजी गई थी। लेकिन सभी नियम को ताक पर रखकर न इसकी जनकारी सीडीपीओ को दी गई और न सेविका को। शिक्षा समिति के खाते से रुपया निकालकर एचएम सीधे जिला प्राथमिक शिक्षा एवम समग्र विभाग से जुड़े माफियाओं को दे दिए। जांच के संबंध में पूछने पर डीईओ व डीपीओ हमेशा दूसरे कार्य मे व्यस्तता के रोना रोते हुए जल्द जांच पूरी कर दोषी पर करवाई करने का बात कह अपना अपना पल्ला झाड़ते रहते है।