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वाह रे सुशासन ! भ्र्ष्ट अधिकारियों की भी होती है मलाईदार पोस्टिंग,आखिर किसके संरक्षण में होता है यह खेल.कौन है जिम्मेवार?

वाह रे सुशासन ! भ्र्ष्ट अधिकारियों की भी होती है मलाईदार पोस्टिंग,आखिर किसके संरक्षण में होता है यह खेल.कौन है जिम्मेवार?

PATNA : राज्य खाद्य निगम के अरवल जिला प्रंबधक की काली करतूतों की परते खुलने लगी हैं। अभी अरवल के बलिदाद स्थित सीएमआर गोदाम में चार लाट अनाज की अवैध एंट्री और सहायक प्रबंधक की गिरफ्तारी के बाद भी गोदाम को सील नहीं करने को लेकर जिला प्रबंधक इंद्रजीत कुमार सिंह की परेशानी कम भी नहीं हुई थी कि अब उनके पूर्व में पोस्टिंग के दौरान किस किस तरह के कारनामे किए गए हैं, इसकी सच्चाई भी सामने आ गई है। 

शेखपुरा में 65 लाख का पहुंचाया नुकसान

शेखपुरा में नवंबर 2014 से जून 2016 तक सहायक प्रबंधक के पद पर पदास्थापित रहे। इस दौरान उन पर विभागीय परिवहन कराने हेतू 53.50 लाख का अग्रिम भुगतान किया गया। लेकिन खाद्य निगम के जिला प्रबंधक ने सिर्फ 15-20 लाख के खर्च का आधा अधूरा बिल कार्यालय में जमा कराया, जो पारित नहीं किया गया।

इतना ही नहीं शेखपुरा में पोस्टिंग के दौरान उन पर चावल की कालाबाजारी का भी आरोप लग चुका है। बताया गया कि सीएमआर गोदाम सरसी से दिनांक 13 जून 2016 को 3 ट्रक चावल दानापुर गोदाम के लिए चला था, लेकिन वह मंजिल तक नहीं पहुंचा। बाद में जांच के दौरान दो ट्रक अस्टभुजा राइस मिल में कालाबाजारी करते हुए पकड़ा गया था। इस मामले में सहायक प्रबंधक इंद्जीत सिंह कुमार सिंह के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई थी। साथ ही 400 क्वीं सीएमआर जब्त किया। वहीं सहायक प्रबंधक पर 3062₹ प्रति क्विं. की दर से 12.24 लाख ₹ का जुर्माना लगाया गया। 

मामले में परिवहन विभाग ने तत्कालीन निगम के तत्कालीन जिला प्रबंधक को पत्र लिखकर सहायक प्रबंधक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। साथ ही अनाजों के परिवहन कराने के लिए मिले 53.50 लाख और जुर्माने में 12.24 लाख वसूलने के लिए कहा था। उक्त राशि 65 लाख 74 हजार रुपए थी, जिसकी वसूली के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया था, लेकिन बताया जा रहा है कि चार साल का समय गुजरने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।

नवादा में पार की सारी हदें

 पीडीएस तक सही समय पर नहीं पहुंचा चावल

शेखपुरा में कार्रवाई की अनुशंसा के बाद भी निगम की मेहरबानी उन पर बनी रही। उन्हें सहायक प्रबंधक से जिला प्रबंधक बना दिया गया और नवादा में पोस्टिंग करा दी गई। लेकिन यहां भी उन्होंने कारनामा दिखाना शुरू कर दिया और सरकार को भारी नुकसान पहुंचाया। जहां उन पर आदेश की अवहेलना करने की बात सामने आई। बताया गया कि जिला प्रबंधक को यहां पिछले साल चुनाव के दौरान पीडीएस तक सही समय पर पहुंचाने का निर्देश दिया गया था, लेकिन इस पर उन्होंने ध्यान नहीं दिया। साथ ही दिवाली और छठ के दौरान भी एसआईओ सही समय पर डिस्पैच नहीं किया गया, नतीजा यह हुआ कि त्योहार के दौरान लोगों को सही समय पर अनाज नहीं मिल सका। 

यहां तक कि कोविड काल में यही स्थिति बनी रही और एसआईओ डिस्पैच करने में लापरवाही बरती गई, जबकि इस संबंध में सुधार के लिए विभाग की तरफ से चेतावनी भी दी गई थी, लेकिन वह अपनी आदत से मजबूर नजर आए।

धान खरीदी में भी की गई लापरवाही

नवादा में पोस्टिंग के दौरान जिला प्रबंधक इंद्रजीत कुमार सिंह ने धान खरीदी में भी लापरवाही रिपोर्ट बरती। जिलाधिकारी ने अपने रिपोर्ट में बताया है कि 27 दिसंबर 2020 तक जिले में सीएमआर का काम शुरू नहीं किया जा सका था, जबकि इस दौरान 20070.38 एमटी धान की खरीदी की जा चुकी थी। एक सप्ताह बाद हुई जांच में पाया गया कि सीएमआर गोदाम में सिर्फ 33 लाट अनाज ही पहुंच सका है, इस दौरान सिर्फ सात लाट का ही भुगतान किया गया। डीएम ने माना है कि सीएमआर में जिला प्रबंधक की रूचि नहीं लेने के कारण जिले में धान अधिप्राप्ती में वांछित प्रगति नहीं हुई। इस संबंध में डीएम ने जिला प्रबंधक के वेतन पर रोक भी लगाई थी। 

सीएमआर गोदाम में चल रही थी मनमानी

नवादा के खाद्य निगम के खिलाफ इस साल की शुरुआत में उप विकास आयुक्त के नेतृत्व में एक जांच टीम बनाई गई थी, जिसकी रिपोर्ट बेहद चौंकानेवाली है। जांच रिपोर्ट के अनुसार गोदामों में एसटीआर निर्गत हेतू किसी प्रकार की रसीद नहीं दी जाती है। इस प्रकार एसटीआर निर्गत करने के लिए किस पैक्स का कागजात कब प्राप्त हुआ, इसकी जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी। जांच टीम ने माना कि एसटीआर जेनरेट करने में राशि की लेनदेन की गई है।

यहां यह बताना जरुरी है कि एसटीआर जारी होने के बाद ट्रकों के अनाज गोदाम में रखे जाते हैं और एक गोदाम में अधिकतम 14-15 ट्रक के अनाज अनलोड किए जा सकते हैं, लेकिन गोदामों में बिना हस्ताक्षर वाले एसटीआर जारी किए गए।

इन गोदामों से कई लाट अनाज का नहीं है कोई हिसाब

जांच टीम के अनुसार जिले के कई सीएमआर से अनाजों के लाट भी गायब है, जिसकी कोई जानकारी नहीं है। बताया गया कि पकरीबरावां के डूमरांवा स्थित ज्योति राइस मिल से बीते 7 फरवरी को 3 लॉट बढ़ौना गोदाम भेजा गया, लेकिन वह पहुंचा ही नहीं। इसी तरह डूमरावां के ही नारायण राइस मिल से सीएमआर हदसा भेजा गया दो लाट गोदाम नहीं पहुंचा। वारसलीगंज के एग्रो बेस्ट इंटरप्राइजेज से पांच लाट शोभिया के सीएमआर गोदाम भेजा गया, लेकिन वह भी रास्ते से लापता हो गया। वहीं आंति पैक्स राइस मिल की तरफ से भी एक लाट अनाज गायब होने की बात कही गई 

डीएम ने की कार्रवाई की अनुशंसा

इस साल फरवरी माह में खुद नवादा जिलाधिकारी ने जांच कराई और खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग को पत्र लिखकर अनुशंसा की, लेकिन यहां भी मेहरबानी जारी रही और उन्हें अरवल जिले की जिम्मेदारी सौंप दी गई।

विभाग पूरी तरह के मेहरबान

खाद्य निगम के जिला प्रबंधक के रूप में उन्होंने सरकार को लाखों नहीं बल्कि करोड़ों रुपए का नुकसान पहुंचाया है। रोचक बात यह है हर बार उनके खिलाफ जांच हुई, आरोप साबित हुए, कार्रवाई के लिए अनुशंसा भी की गई, लेकिन इसके बाद भी उनकी दूसरे जिलों में पोस्टिंग होती रही। आखिर सवाल यह है कि एक अधिकारी, जिन पर हर जिले में पोस्टिंग के दौरान घोटाले के आरोप लगते हैं, उनके ऊपर किसका हाथ है, जो हर बार कार्रवाई से बच जाते हैं। खाद्य निगम में जिस तरह से जिला प्रबंधक पर मेहरबानी दिखाई जा रही है, वह विभाग के काम करने के तरीकों पर सवाल खड़े करती है। 

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