N4N DESK : आज से ठीक पचास साल पहले आज ही के दिन यानी चार नवंबर, 1974 को सम्पूर्ण क्रांति अपने पूरे शबाब पर था। जिसका नेतृत्व जयप्रकाश नारायण कर रहे थे। आन्दोलन को देखते हुए पूरे पटना शहर को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। चारों तरफ सीआरपीएफ के जवान तैनात थे। इसी दिन लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में मंत्रियों और विधायकों के आवासों को घेरने के लिए आंदोलनकारियों ने मन बनाया था। जयप्रकाश नारायण करीब 10 बजे गांधी मैदान पहुंचे और वहां से आगे बढ़े। उनके साथ आंदोलनकरियों का जत्था भी विधायक और मंत्रियों के आवास की ओर बढ़ा। इस दौरान महिलाओं का जत्था भी लाला लाजपत राय मार्ग से छज्जु बाग की तरफ से होते हुए जेपी के नेतृत्व वाले जुलूस से जा मिला। लेकिन बेली रोड नाकेबंदी द्वार पर पुलिस ने आन्दोलनकारियों को रोकने की कोशिश की और जयप्रकाश नारायण पर लाठी से हमला कर दिया। बकौल वरिष्ठ पत्रकार सुरेन्द्र किशोर ‘बौराई पुलिस ने 4 नवंबर, 1974 को जयप्रकाश नारायण पर लाठी से प्रहार कर उन्हें मूर्छित कर दिया था। वहां मौजूद छायाकार सत्यनारायण दूसरे के अनुसार, मूच्र्छित जेपी को सर्वोदय नेता बाबूराव चन्दावार और समाजवादी युवा नेता रघुपति ने संभाला। उससे पहले जेपी पर हुए एक प्रहार को रोकने के लिए उस जीप पर सवार नानाजी ने अपना हाथ आगे कर दिया और उससे नानाजी घायल हो गये। उस दिन पटना के आयकर गोलबंर के पास जुलूस के साथ पहुंची जेपी की जीप को इंगित करके पुलिस ने अश्रुगैस का गोला भी मारा था। वह गोला उस जीप के पास इकट्ठी महिलाओं में से मेरी पत्नी रीता सिंह के सिर पर गिरा। उससे वह बुरी तरह झुलस गई। बेहोश हो गयी। अर्ध सैनिक बल के जवान बेहोश रीता को पास के नाले में फेंकने का उपक्रम कर ही रहे थे कि बिहारी साव लेन (पटना)की आन्दोलनकारी महिला गिरिजा देवी ने पुलिस से विनती की। कहा कि यह मेरी बेटी है,इसे छोड़ दीजिए।उस कारण रीता की जान बची।
सुरेन्द्र किशोर के मुताबिक कल्पना कीजिए, यदि अश्रुगैस का वह गोला उम्र दराज जेपी के सिर पर गिरा होता तो क्या होता ?मेरी पत्नी लंबे समय तक पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाजरत रही थी। उस घटना में घायलों में नानाजी देशमुख और अली हैदर तथा कुछ अन्य भी उसी अस्पताल में थे। पुलिस की निर्मम पिटाई से सबसे अधिक घायल बुजुर्ग अली हैदर (गया निवासी) थे जो बाद में बिहार सरकार के मंत्री बने। जयप्रकाश नारायण घायलों से मिलने दो बार पटना मेडिकल कॉलेज के राजेंद्र सर्जिकल वार्ड गये थे। दोनों बार मेरी पत्नी के बेड के पास भी गये और चिकित्सकों से कहा कि इसके इलाज में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए।
सुरेन्द्र किशोर बताते है की तब घायल नानाजी देशमुख को देखने अटल बिहारी वाजपेयी पटना आये थे। उन दिनों मैं दिन में वहीं रहता था और नानाजी के पास जाकर अक्सर बैठा करता था। अटल जी ने आते ही अस्पताल के रसोई घर में जाकर नाना जी के लिए आमलेट बनाया। बड़ी बात यह है कि उस समय मेरे सहित नानाजी के पास जितने लोग बैठे थे,अटल जी ने सबके लिए बारी- बारी से आमलेट बनाया और ला-लाकर हमें हमारे हाथों में दिया। हमने लाख मना किया। पर अटल जी हमें आमलेट खिला कर ही संतुष्ट हुए। सन 1977 में बिहार विधान सभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नामों का चयन होने लगा। जेपी ने पूछा--‘‘क्या उस लड़की का आवेदन पत्र नहीं है जिसके सिर पर अश्रु गैस का गोला गिरा था ?’’ याद रहे कि आवेदन पत्र नहीं था।
सुरेन्द्र किशोर ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा की गत 5 जून, 2024 को ‘संपूर्ण क्रांति’ दिवस पर जब रीता पटना के कदम कुआं स्थित जेपी मूर्ति पर माला चढ़ाने गयी थी तो तारा सिन्हा ने उससे कहा कि ‘‘रीता, तुम्हें दादा (जेपी) ही टिकट देना चाहते थे। समझो कि तुम एम.एल.ए.बन गयी।’’तारा सिन्हा डा.राजेंद्र प्रसाद की पोती हैं।