Bihar Political Tension: क्या बिहार एनडीए में सबकुठ ठीक है. क्या जदयू भाजपा के रिश्ते सामान्य हैं.नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू वर्तमान राजनीतिक हालात में सियासी हैसियत बढ़ चुकी है. कारण है भाजपा अपने सांसदों के बल पर बहुमत नहीं पा सकी है. ऐसे में 12 सांसदों की शक्ति के बल पर से जदयू नीतीश की दबी हुई राजनीतिक इच्छा पूरा तो नहीं करना चाहते.बिहार की राजनीति में एक बार फिर घमासान मचा हुआ है. कयासों का दौर तब शुरु हुआ जब जदयू के नेता जमा खान ने सीएम नीतीश कुमार को “पीएम मैटेरियल” बताया. जमा खान का बयान उस समय आया जब जदयू और भाजपा के बीच राजनीतिक संबंध कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं. दोनों दल एनडीएगठबंधन के अहम हिस्सा हैं. उनके बीच की रिश्तों में खटास दिखने लगी है.
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान ने इंटरव्यू में कहा कि नीतीश कुमार अंततः भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे और उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि विपक्ष भी उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करेगा. जमा खान का कहना था कि नीतीश कुमार के पास कोई दाग नहीं है और उन्होंने परिवारवाद से दूर रहकर शासन किया है.
मंत्री जमा खान के बयान पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय आलोक ने बिना देर किए तुरंत प्रतिक्रिया दी. आलोक ने कहा कि प्रधानमंत्री पद के लिए कोई वैकेंसी नहीं है और जमाल खान को सलाह दी कि वे कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों से बात करें यदि वे नीतीश कुमार को पीएम बनाना चाहते हैं. आलोक ने यह भी कहा कि ऐसे बयानों का कोई अर्थ नहीं है और यह केवल राजनीतिक खेल का हिस्सा हैं.
तो जमा खान के बयान को विपक्ष ने लपकने में देरी नहीं की .राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने आरोप लगाया कि भाजपा नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद से हटाने की योजना बना रही है. उन्होंने कहा कि जेडीयू द्वारा पीएम बनने की मांग उठाने का कारण यही हो सकता है कि उन्हें भाजपा पर भरोसा नहीं रहा.
जदयू अपने नेता नीतीश कुमार को केंद्रीय राजनीति में आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है, जबकि भाजपा इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दे रही है.जानकारों के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर बल्लेबाजी करने के लिए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार और जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा मिलकर खेल कर सकते हैं. इसकी पहली कड़ी के रूप में जदयू कोटे के मंत्री जमा खान के बयान के रुप में देखा जा रहा है.