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पीएचडी में गड़बड़ी पर यूजीसी की सख्त कार्रवाई: राजस्थान के 3 विश्वविद्यालयों पर बैन

यूजीसी ने पीएचडी डिग्री में अनियमितताओं पर सख्त कदम उठाते हुए राजस्थान के तीन विश्वविद्यालयों—ओपीजेएस, सनराइज और सिंघानिया—को 2025-30 तक पीएचडी में प्रवेश से प्रतिबंधित कर दिया है। 30 अन्य विश्वविद्यालयों की जांच जारी है, जल्द ही उन पर भी कार्रवाई ह

पीएचडी में गड़बड़ी पर यूजीसी की सख्त कार्रवाई: राजस्थान के 3 विश्वविद्यालयों पर बैन

देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों में पीएचडी डिग्री देने में गड़बड़ी करने वाले विश्वविद्यालयों के खिलाफ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सख्त कदम उठाए हैं। राजस्थान के तीन विश्वविद्यालयों—ओपीजेएस यूनिवर्सिटी (चुरु), सनराइज यूनिवर्सिटी (अलवर), और सिंघानिया यूनिवर्सिटी (झुंझुनू)—को पांच साल के लिए पीएचडी में प्रवेश देने से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

30 अन्य विश्वविद्यालय भी जांच के घेरे में

यूजीसी ने बताया कि देशभर के 30 अन्य विश्वविद्यालयों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। इन विश्वविद्यालयों की जांच जारी है, और जल्द ही उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है। इनमें उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और बिहार सहित कई राज्यों के विश्वविद्यालय शामिल हैं।

उच्चस्तरीय जांच और कार्रवाई का आधार

यूजीसी को लंबे समय से पीएचडी डिग्री देने में लापरवाही और नियमों की अनदेखी की शिकायतें मिल रही थीं। इस पर आयोग ने उच्चस्तरीय कमेटी गठित कर जांच शुरू की। पहले चरण की जांच में ही राजस्थान के तीन विश्वविद्यालयों की अनियमितता सामने आई। उन्हें नोटिस जारी कर सफाई मांगी गई, लेकिन उनके जवाब असंतोषजनक पाए गए। इसके बाद इन विश्वविद्यालयों को सत्र 2025-26 से 2029-30 तक पीएचडी में प्रवेश देने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया।

शिक्षक भर्ती नियमों से जुड़ा यूजीसी का कदम

यह सख्ती यूजीसी द्वारा प्रस्तावित नए शिक्षक भर्ती नियमों के संदर्भ में की गई है। इन नियमों के तहत शिक्षक भर्ती और प्रमोशन में पीएचडी डिग्री को प्राथमिकता दी गई है। ऐसे में पीएचडी डिग्री की गुणवत्ता बनाए रखना अनिवार्य हो गया है।

शिक्षा जगत पर असर

यूजीसी के इस कदम से शिक्षा जगत में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा संदेश गया है। यह फैसला शिक्षण संस्थानों को पीएचडी डिग्री देने में सख्ती बरतने और नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करेगा।


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