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मातृ नवमी का महत्व काफी ज्यादा, जानें इस दिन किन पितरों की होती है पूजा

मातृ नवमी का महत्व काफी ज्यादा, जानें इस दिन किन पितरों की होती है पूजा

26 सितंबर यानी री गुरुवार को आश्विन कृष्ण पक्ष की नवमी है। अभी पितृ पक्ष चल रहा है और इस पक्ष की नवमी तिथि का महत्व काफी ज्यादा है। इसे मातृ नवमी कहा जाता है। पितृ पक्ष में घर-परिवार के मृत सदस्यों के लिए उनकी मृत्यु तिथि के अनुसार श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। मातृ नवमी पर परिवार की उन सभी महिलाओं के लिए श्राद्ध किया जाता है, जो मरते समय सुहागिन थीं।


पितृ पक्ष की नवमी तिथि पर सुबह जल्दी उठना चाहिए। घर की साफ-सफाई करें। घर के बाहर रंगोली जरूर बनाएं। रंगोली बनाने का भाव ये रखें कि हम घर-परिवार के पितरों के स्वागत के लिए रंगोली बना रहे हैं। घर के मंदिर में गणेश जी, शिव जी, विष्णु जी देवी दुर्गा और अन्य देवी-देवताओं की पूजा करें। सूर्य को जल चढ़ाएं।


देव पूजा के बाद पितरों के धूप-ध्यान के लिए सात्विक खाना बनाएं। खाने में लहसुन-प्याज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ध्यान रखें जब तक श्राद्ध कर्म नहीं करते हैं, तब भोजन नहीं करना चाहिए। श्राद्ध कर्म दोपहर में करीब 12 बजे करना चाहिए। पितरों से जुड़े धर्म-कर्म के लिए तांबे के बर्तनों का उपयोग करना चाहिए।


गाय के गोबर से बना कंडा जलाएं और जब उससे धुआं निकलना बंद हो जाए, तब परिवार की सभी मृत सुहागिन महिलाओं का ध्यान करते हुए अंगारों पर गुड़-घी, खीर-पुड़ी अर्पित करें। उन लोगों के लिए गुड़-घी, खीर-पुड़ी अर्पित करें, जिनकी मृत्यु तिथि नवमी है। धूप-ध्यान करते समय ऊं पितृदेवताभ्यो नम: मंत्र का जप करना चाहिए।


धूप देने के बाद हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को जल अर्पित करें। हाथ में जल के साथ ही जौ, काले तिल, चावल, दूध, सफेद फूल भी रखेंगे तो बेहतर रहेगा। इस तरह श्राद्ध और तर्पण करने के बाद घर के बाहर गाय, कौएं, कुत्ते के लिए भी भोजन रखें। किसी गोशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें, गायों को हरी घास खिलाएं। जरूरतमंद लोगों को खाना, कपड़े, धन, जूते-चप्पल का दान करें।

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