3 अक्टूबर 2024 से शुरू हुई शारदीय नवरात्रि अपने समापन की ओर है। 8 अक्तूबर यानी की आज नवरात्र की षष्ठी तिथि है। इस दिन देवी दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। माता कात्यायनी गृहस्थ जीवन में खुशहाली की देवी हैं। ऐसी मान्यता है कि माता के इस स्वरूप की पूजा से साधक को सभी प्रकार के रोग-दोषों से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। विवाह संबंधी समस्याओं को दूर करने वाली मां कात्यायनी को ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। मां कात्यायनी का यह स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला और भास्वर है। आइए जानते हैं मां के इस स्वरूप, पूजा विधि और भोग के बारे में।
मां दुर्गा का ये स्वरूप अत्यंत चमकीला और भास्वर है और वे ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। मां कात्यायनी ऋषि कात्यायन की पुत्री के रूप में अवतरित हुई थीं। वह सुखमय गृहस्थ जीवन प्रदान करने वाली देवी हैं। इनकी चार भुजाएं हैं, इनमें से दाहिनी तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है वहीं नीचे वाला हाथ वरमुद्रा में है। जबकि, बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प है। माता का वाहन सिंह है।
मां कात्यायनी मंत्र-
"कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी.
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः.."
मान्यता है कि मां कात्यायनी को शहद और शहद से बने पकवान प्रिय हैं। ऐसे में आप माता कात्यायनी के पूजन के लिए शहद से बनाई हुई खीर अर्पित कर सकते हैं। इसे बनाने के लिए चावल की सामान्य खीर में शहद मिलाएं। कहते हैं कि देवी दुर्गा के स्वरूप मां कात्यायनी को हरा रंग प्रिय है। हरा रंग समृद्धि, हरियाली का प्रतीक है। मां के छठे स्वरूप को प्रसन्न करने के लिए इस दिन पूजा में हरे रंग के कपड़े पहन सकते हैं। चाहें तो मां का श्रृंगार भी हरे रंग के वस्त्र से कर सकते हैं।