शारदीय नवरात्रि की शुरूआत 3 अक्टूबर से हो चुकी है। ऐसे में आज यानी की शनिवार को मां का तीसरा दिन है। नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है। इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। इनके स्वरूप की बात करें, तो इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनका शरीर सोने की तरह चमकीला है और इनका वाहन सिंह है।
मां चंद्रघंटा के दस हाथ हैं, जिनमें वे कमल, धनुष, बाण, खड्ग, कमंडल, तलवार, त्रिशूल, और गदा जैसे अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं। इनके गले में सफेद फूलों की माला और सिर पर रत्नजड़ित मुकुट शोभायमान है। माता चंद्रघंटा युद्ध की मुद्रा में होती हैं और तंत्र साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती हैं। मान्यता है कि नवरात्रि के तीसरे दिन उनकी पूजा करने से व्यक्ति साहसी, पराक्रमी और निर्भय हो जाता है, साथ ही जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं।
नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा बड़े ही विधि-विधान से किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन माता को दूध से बनी मिठाइयां और खीर अर्पित किए जाते हैं। जो लोग माता को खीर और मिठाइयां अर्पित करते हैं उसके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। साथ ही इस दिन माता को गुड़ और पीले रंग की भी मिठाइयां अर्पित की जाती है। पीले रंग की मिठाइयां माता का विशेष भोग माना गया है।
ज्योतिषियों के अनुसार, जो जातक माता चंद्रघंटा को विशेष प्रकार के भोग अर्पित करते हैं उनके मानसिक शांति, आत्मविश्वास में वृद्धि और जीवन की सारी कठिनाइयां दूर हो जाती हैं। इसके साथ ही मन में साहस प्राप्त होता है। माता अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। साथ ही, अपनी कृपा भी बनाए रखती हैं।
मां चंद्रघंटा पूजा मंत्र
पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।