Mutah marriage in islam:इस्लाम धर्म में एक अस्थायी निकाह की प्रथा है, जिसे मुताह निकाह कहते हैं। इसे विशेष रूप से शिया मुसलमानों में मान्यता प्राप्त है। इसके अनुसार, शादी एक तय सयम के लिए की जाती है। जिसके बाद लड़का और लड़की पक्ष अपनी सहमति से अलग हो सकते हैं। यह निकाह पारंपरिक निकाह से अलग होता है क्योंकि इसमें एक निश्चित समय सीमा होती है और इसे “कॉन्ट्रैक्ट मैरिज” के रूप में भी देखा जा सकता है।
मुताह निकाह की परिभाषा
मुताह एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब होता है "आनंद" या "मजा।" इस निकाह का उद्देश्य उन लोगों के लिए है जो लंबे समय तक एक-दूसरे के साथ नहीं रह सकते या जो अपने जीवन के कुछ समय के लिए निकाह का अनुभव करना चाहते हैं। इसका चलन विशेष रूप से उन स्थानों पर है, जहां दूर की यात्राएं करने वाले लोगों की आवश्यकता होती है, जैसे दुबई और अबू धाबी जैसे स्थानों में, जहां व्यापारिक उद्देश्यों से स्थाई निवास संभव नहीं होता था।
मुताह निकाह का स्वरूप और नियम
मुताह निकाह एक अस्थायी समझौता होता है, जिसमें निकाह की अवधि पहले से तय होती है। यह अवधि कुछ दिन, महीने या साल भी हो सकती है। इस समय सीमा के बाद दोनों पक्ष सहमति से अलग हो सकते हैं। मुताह निकाह में भी पारंपरिक मुस्लिम विवाह की तरह ही मेहर दिया जाता है, जो निकाह के दौरान पत्नी को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।
मुताह निकाह में महिलाओं की स्वतंत्रता
मुताह निकाह में महिलाओं को शादी के मामलों में काफी स्वतंत्रता दी जाती है। शिया समुदाय में मुताह निकाह को मान्यता प्राप्त है, जिससे महिलाएं अपनी इच्छानुसार अस्थायी शादियां कर सकती हैं। इस व्यवस्था में महिलाएं 20-25 बार भी मुताह निकाह कर सकती हैं, क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार की संख्या या सीमा नहीं होती। एक अवधि समाप्त होने के बाद महिला फिर से मुताह निकाह कर सकती है।
सुन्नी और शिया समुदाय का दृष्टिकोण
शिया मुसलमानों के लिए मुताह निकाह को इस्लामिक पर्सनल लॉ में मान्यता मिली हुई है और इसे वैध माना जाता है। हालांकि, सुन्नी समुदाय में इस निकाह को स्वीकार्यता नहीं है और इसे इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ माना जाता है। सुन्नी मुसलमानों के लिए निकाह एक स्थायी अनुबंध माना जाता है, जबकि शिया समुदाय के लिए यह अस्थायी भी हो सकता है।