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करोड़ो का मालिक होने के बावजूद झोपड़ी में रहने को मजबूर, जानें ऐसा क्या हुआ की दाने-दाने को हो रहा मोहताज

जानिए कैसे राजू आदिवासी के परिवार की जिंदगी में बदलाव आया जब उन्हें 19 कैरेट का हीरा मिला। हीरे की नीलामी और आर्थिक मुश्किलों से जूझते हुए उनका संघर्ष।

करोड़ो का मालिक होने के बावजूद झोपड़ी में रहने को मजबूर, जानें ऐसा क्या हुआ की दाने-दाने को हो रहा मोहताज
झोपड़ी में रहने को मजबूर हीरा मालिक- फोटो : social media

PANNA DIAMOND: राजू आदिवासी, एक ऐसा नाम जो अपने संघर्ष और किस्मत के चमत्कार के कारण सुर्खियों में आया है। पन्ना की खदान में वर्षों से खुदाई करते हुए, उन्होंने शायद ही कभी सोचा था कि एक दिन उनकी मेहनत इतनी कीमती साबित होगी। एक दिन उन्हें खदान से 19 कैरेट का चमचमाता हीरा मिला, जिससे उनके जीवन में बदलाव की संभावना दिखी। लेकिन इस अनमोल रत्न को पाकर भी राजू के संघर्ष खत्म नहीं हुए हैं।


हीरे की नीलामी की इंतजार में आर्थिक तंगी से जूझता परिवार

हीरा मिलने के बाद राजू आदिवासी ने ईमानदारी से उसे हीरा कार्यालय में जमा कर दिया, जिससे उसे बेचने और उसके मुनाफे की प्रक्रिया शुरू हो सके। परन्तु, हीरे की नीलामी अभी तक नहीं हो पाई है और राजू को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। राजू के परिवार को इस हीरे के मिलने से तत्काल कोई आर्थिक राहत नहीं मिली है। उन्हें कार्यालय से ₹1 लाख की एडवांस राशि मिली थी, जो कर्ज चुकाने और दैनिक खर्चों में खत्म हो चुकी है।


कर्ज और कठिनाइयों में फंसे राजू आदिवासी

राजू आदिवासी और उनका परिवार खदान की खुदाई के लिए उधार लिया हुआ पैसा वापस करने में कठिनाइयों का सामना कर रहा है। बाजार से उठाए गए कर्ज को चुकाने के लिए राजू के पास पर्याप्त साधन नहीं हैं। उन्हें इस बात की उम्मीद थी कि हीरे की नीलामी दीपावली तक हो जाएगी, लेकिन वह दिन अब भी दूर है। हीरे की नीलामी कब होगी और कब उन्हें उससे पैसे मिलेंगे, यह निश्चित नहीं है।


अगर हीरे की कीमत का 10% भी मिल जाए तो मिलेगी राहत

राजू आदिवासी की आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय है। उनका परिवार एक छोटी सी झोपड़ी में रहता है, जिसमें बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है। परिवार की इस दशा को सुधारने के लिए राजू को तुरंत पैसों की आवश्यकता है। राजू का मानना है कि यदि हीरे की नीलामी से हीरे की कुल कीमत का 10% भी उन्हें मिल जाए, तो उनके परिवार की समस्याओं में कुछ राहत आ सकती है। इस राशि से वे अपने कर्ज का कुछ हिस्सा चुका सकेंगे और अपने परिवार की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा कर सकेंगे।


हीरे की नीलामी के इंतजार में हर दिन कठिनाई भरा

राजू आदिवासी और उनके परिवार के लिए हर दिन एक नई चुनौती बनकर आता है। आर्थिक समस्याओं के चलते उनकी रोजमर्रा की जिंदगी बेहद कठिन हो गई है। उनके पास सीमित साधन हैं और उनके परिवार का गुजारा चलाना मुश्किल हो गया है। हीरे की नीलामी में देरी से उनकी स्थिति और भी अधिक विकट होती जा रही है। हालांकि राजू को उम्मीद है कि उनके संघर्ष और धैर्य का फल उन्हें जल्द ही मिलेगा।


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