japan divorce temple: जापान में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जिसे "तलाक का मंदिर" के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए है, जो घरेलू हिंसा या वैवाहिक जीवन में उत्पीड़न का शिकार होती हैं और अपने पति से अलग होना चाहती हैं। इस मंदिर का नाम है मात्सुगाओका टोकेई-जी और यह जापान के कामाकुरा शहर में स्थित है।
मात्सुगाओका टोकेई-जी तलाक का मंदिर
मात्सुगाओका टोकेई-जी मंदिर का इतिहास सैंकड़ों साल पुराना है और इसे जापान में महिलाओं के लिए एक सुरक्षित स्थान के रूप में जाना जाता है। यह मंदिर 700 साल से भी अधिक पुराना है और इसकी स्थापना काकुसन नाम की एक नन ने की थी। काकुसन अपने पति होजो टोकीमून के साथ खुश नहीं थीं और तलाक नहीं ले सकती थीं, इसलिए उन्होंने इस मंदिर में रहने का निर्णय लिया। समय के साथ, यह मंदिर उन सभी महिलाओं के लिए आश्रय बन गया जो घरेलू हिंसा या वैवाहिक उत्पीड़न से मुक्ति चाहती थीं।
तलाक का अधिकार और मंदिर की परंपरा
पुराने समय में जापान में केवल पुरुषों को तलाक का अधिकार था, जिससे महिलाएं विवश होकर इस रिश्ते में बंधी रहती थीं। ऐसे में मात्सुगाओका टोकेई-जी मंदिर महिलाओं के लिए एकमात्र आश्रय था। परंपरा के अनुसार, जो महिला अपने पति से तलाक चाहती थी, उसे इस मंदिर में तीन साल रहना पड़ता था। बाद में यह समय सीमा घटाकर दो साल कर दी गई। इसके बाद, महिलाएं तलाक लेने के लिए स्वतंत्र हो जाती थीं।
पुरुषों की एंट्री पर प्रतिबंध
लंबे समय तक इस मंदिर में पुरुषों की एंट्री प्रतिबंधित थी, ताकि यह स्थान केवल महिलाओं के लिए सुरक्षित और शांतिपूर्ण बना रहे। 1902 में जब इस मंदिर का नियंत्रण एंगाकु-जी ने लिया, तब यहां पर पुरुष मठाधीश की नियुक्ति हुई और पुरुषों का प्रवेश भी संभव हो गया। इसके बाद, इस ऐतिहासिक मंदिर में पुरुषों की एंट्री की अनुमति मिल गई, लेकिन यह स्थान आज भी अपने पुराने उद्देश्य और इतिहास के लिए प्रसिद्ध है।
मात्सुगाओका टोकेई-जी का महत्व
यह मंदिर उन महिलाओं के लिए "स्वर्ग" जैसा था, जो वैवाहिक जीवन में अत्याचार का शिकार थीं। यहां आकर उन्हें समाज की कड़ी धारणाओं और प्रताड़ना से मुक्त होने का अवसर मिलता था। इस मंदिर का महत्व आज भी जापानी समाज में बना हुआ है, क्योंकि यह महिलाओं के अधिकारों और समानता के संघर्ष का प्रतीक है।