UP NEWS: जौनपुर में गोमती घाट निर्माण पर स्वच्छ गोमती अभियान ने उठाए गंभीर सवाल, NGT गाइडलाइन के उल्लंघन का आरोप

जौनपुर: जौनपुर में स्वच्छ गोमती अभियान के अध्यक्ष गौतम गुप्ता ने गोमती नदी के उत्तरी छोर पर चल रहे घाट निर्माण कार्य को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। शुक्रवार को आयोजित एक प्रेस वार्ता में उन्होंने बताया कि यह निर्माण कार्य न तो राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की गाइडलाइन के अनुसार किया गया है और न ही इसके लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) लिया गया है।
एनओसी नहीं, तो निर्माण का अधिकार किसे?
गौतम गुप्ता ने सवाल उठाया कि जब NOC ही नहीं ली गई, तो नमामि गंगे योजना के तहत गोमती में अतिक्रमण करते हुए घाटों का निर्माण किसके आदेश पर हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह सीधे-सीधे नियमों का उल्लंघन है और गोमती की नैसर्गिक धारा के साथ खिलवाड़ है।
शाही पुल के ऐतिहासिक स्वरूप से छेड़छाड़
उन्होंने दावा किया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित ऐतिहासिक शाही पुल के दो ताखों को पाथवे बनाकर बंद कर दिया गया है। इससे सदियों पुरानी गोमती की अविरल धारा बाधित हुई है, जो न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से गलत है, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के खिलाफ भी है।
गोमती की धारा मोड़ने की अनुमति किसने दी?
प्रेस वार्ता में गुप्ता ने यह भी कहा कि गोमती की मुख्य धारा को स्थायी रूप से मोड़कर उसे अवरुद्ध कर दिया गया है। उन्होंने पूछा कि यह किसकी अनुमति से किया गया? साथ ही पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।
जल निगम और नमामि गंगे पर सवाल
गौतम गुप्ता ने जल निगम और नमामि गंगे परियोजना की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के दौरे के समय जिन नालों — जैसे हनुमान घाट और पंचहटिया — को बंद बताया गया था, वे अभी भी सीधे गोमती नदी में गिर रहे हैं। इसके अलावा, निर्माण कार्य से निकला मलबा भी सीधे नदी में फेंका जा रहा है, जिससे नदी की स्थिति और बिगड़ गई है।
कुछ प्रयासों की सराहना भी की
हालांकि, उन्होंने जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र सिंह, विधान परिषद सदस्य बृजेश सिंह ‘प्रिंशु’ और नगरपालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि डॉ. रामसूरत मौर्य द्वारा गोमती की डिसिल्टिंग में दिए गए सहयोग की सराहना की और इसे एक सकारात्मक पहल बताया।
ज्ञापन सौंपेगा स्वच्छ गोमती अभियान
गौतम गुप्ता ने बताया कि स्वच्छ गोमती अभियान आने वाले सप्ताह में इन सभी गंभीर मुद्दों को लेकर जिलाधिकारी को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपेगा और पूरे मामले में पारदर्शिता की मांग करेगा। यह मामला अब जिले की जनता और प्रशासन दोनों के लिए एक चुनौती बन चुका है, जहां एक ओर विकास कार्य दिखाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण और धरोहर से जुड़े सवाल भी खड़े हो रहे हैं।