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UP NEWS: पुस्तक मेले में डॉ. रुचि श्रीवास्तव की नई पुस्तक का हुआ लोकार्पण

UP NEWS: पुस्तक मेले में डॉ. रुचि श्रीवास्तव की नई पुस्तक का हुआ लोकार्पण

लखनऊ: रवीन्द्रालय में 2 मार्च 2025, रविवार को आयोजित पुस्तक मेले में सर्जन से लेखिका बनीं डॉ. रुचि श्रीवास्तव की नवीनतम कृतियाँ “खुला पिटारा, सुनो कहानी” (बाल कहानी संग्रह) और “मुट्ठी भर मुस्कान” (हास्य व्यंग्य संग्रह) का भव्य लोकार्पण हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ रंगकर्मी श्री गोपाल सिन्हा ने की, जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ समीक्षक श्री विनय श्रीवास्तव, वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ. मीरा दीक्षित, तथा वक्ता द्वय, वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती अलका प्रमोद और श्रीमती नीलम राकेश ने अपनी गरिमामय उपस्थिति से मंच को आभायुक्त किया।


कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और डॉ. रुचि श्रीवास्तव की ही लिखी सरस्वती वंदना की सुंदर प्रस्तुति के साथ हुई, जिसे श्रीमती अलका अस्थाना अमृतमयी ने प्रस्तुत किया। तत्पश्चात, मंचासीन अतिथियों के साथ डॉ. रुचि श्रीवास्तव के जीवनसाथी डॉ. संजय प्रकाश और उनके पुत्र सफल आनंद ने दोनों पुस्तकों का लोकार्पण किया। इस अवसर पर प्रकाशक श्री एम. एम. शर्मा ने डॉ. रुचि श्रीवास्तव को सम्मानित भी किया।


लेखन यात्रा पर प्रकाश डालते हुए डॉ. रुचि श्रीवास्तव ने की कलम उठाने की प्रेरक बात

डॉ. रुचि श्रीवास्तव ने कार्यक्रम में अपनी लेखन यात्रा के बारे में बात करते हुए कहा कि, “चाकू रख कर कलम उठाना मेरे लिए एक नई शुरुआत थी।” उन्होंने अपनी दोनों पुस्तकों की रचना प्रक्रिया को साझा करते हुए यह बताया कि कैसे वे अपने चिकित्सकीय पेशे के साथ-साथ साहित्य की ओर रुख कर पाई।


विशिष्ट अतिथियों द्वारा कृतियों पर विचार

श्रीमती अलका प्रमोद ने बाल कहानी संग्रह “खुला पिटारा, सुनो कहानी” के विषय में चर्चा करते हुए बाल साहित्य की महत्ता और इसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला। श्रीमती नीलम राकेश ने हास्य व्यंग्य संग्रह "मुट्ठी भर मुस्कान" पर अपने विचार रखते हुए आज की व्यस्त जीवनशैली में इस प्रकार के साहित्य की आवश्यकता पर बल दिया। श्री विनय श्रीवास्तव और डॉ. मीरा दीक्षित ने भी दोनों पुस्तकों पर अपने-अपने विचार साझा किए।


पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए पौधों का वितरण

डॉ. रुचि श्रीवास्तव ने अपने अतिथियों को हरे-भरे पौधे भेंट कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया, जो उनके जीवन और साहित्य दोनों में सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को दर्शाता है।


अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री गोपाल सिन्हा ने की डॉ. रुचि के साहित्य सृजन की सराहना

कार्यक्रम के समापन पर अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए श्री गोपाल सिन्हा ने डॉ. रुचि श्रीवास्तव के साहित्यिक योगदान और उनके समर्पण की सराहना की। उन्होंने कहा कि साहित्य का हर रूप समाज को जागरूक करने का एक सशक्त माध्यम है, और डॉ. रुचि की कृतियाँ इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।


कार्यक्रम का सफल संचालन और धन्यवाद ज्ञापन

कार्यक्रम का कुशल संचालन वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती अलका प्रमोद द्वारा किया गया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रुचि श्रीवास्तव के पुत्र सफल आनंद ने किया। इस मौके पर पंडाल में अनेक गणमान्य नागरिकों और साहित्यकारों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी भव्य और सफल बना दिया।

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