Bijli Bill: बिजली विभाग जुलाई में उपभोक्ताओं से वसूलेगी 187 करोड़ रुपये, जानिए क्या है वजह?

लखनऊ: जुलाई महीने में उपभोक्ताओं को मिलने वाले बिजली बिल में 1.97 प्रतिशत ईंधन अधिभार के रूप में अतिरिक्त रकम जोड़ी जाएगी। इससे बिजली कंपनियां कुल 187 करोड़ रुपये उपभोक्ताओं से वसूलेंगी।
जून में वसूले गए थे 390 करोड़ रुपये
इससे पहले जून माह में बिजली कंपनियों ने उपभोक्ताओं के बिल पर 4.27 प्रतिशत ईंधन अधिभार लगाया था, जिससे करीब 390 करोड़ रुपये की वसूली की गई थी। अब जुलाई में जो अधिभार लिया जा रहा है, वह अप्रैल महीने के खर्च के आधार पर लगाया जा रहा है।
उपभोक्ता परिषद का विरोध, कहा – सरप्लस में से घटाया जाए अधिभार
उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इसका विरोध करते हुए कहा कि उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपये बिजली कंपनियों पर सरप्लस (अतिरिक्त) निकल रहा है। ऐसे में कंपनियों को यह अधिभार उपभोक्ताओं से वसूलने की बजाय उसी सरप्लस में से समायोजित करना चाहिए।
प्राइवेट कंपनियों को खुश करने का आरोप
अवधेश वर्मा ने आरोप लगाया कि यह अधिभार निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने की मंशा से वसूला जा रहा है। उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों का निजीकरण करने की तैयारी में जुटे निजी घरानों को यह दिखाया जा रहा है कि अब हर महीने ईंधन अधिभार लेने की व्यवस्था कर दी गई है।
नियम बदलकर वसूली जारी रखने का आरोप
परिषद अध्यक्ष ने यह भी कहा कि बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग से एक नया रेगुलेशन बनवाया है, जिससे लगातार ईंधन अधिभार शुल्क वसूला जा रहा है, जबकि यह उचित नहीं है।
आयोग से कई बार की गई अपील
परिषद का कहना है कि उन्होंने कई बार विद्युत नियामक आयोग से अनुरोध किया है कि ईंधन अधिभार को उपभोक्ताओं की सरप्लस धनराशि से घटाया जाए, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
निष्कर्ष: उपभोक्ता परिषद का सवाल – जब पैसा पहले से जमा है, तो अतिरिक्त वसूली क्यों?
इस पूरे मामले ने बिजली दरों की पारदर्शिता और उपभोक्ता हितों को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। उपभोक्ता परिषद मांग कर रही है कि जो पैसा पहले से उपभोक्ताओं का सरप्लस के रूप में जमा है, उसी में से कटौती की जाए, और हर महीने अधिभार वसूलने का चलन बंद हो।