लखनऊ में फर्जी शिकायत गैंग का पर्दाफाश, एक महिला ने अकेले की 171 शिकायतें! जानिए पूरा मामला

लखनऊ में फर्जी शिकायत गैंग का पर्दाफाश, एक महिला ने अकेले की

लखनऊ: लखनऊ से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। राजधानी में जनहित के नाम पर फर्जी शिकायतें दर्ज कर आम लोगों को परेशान करने वाले एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। ये लोग खुद को समाजसेवी दिखाकर असल में लोगों को धमका रहे थे, डर पैदा कर रहे थे और फिर अवैध वसूली कर रहे थे। लेकिन अब लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने इन पर शिकंजा कस दिया है।


एलडीए ने 28 ऐसे लोगों की सूची जारी की है, जो लगातार फर्जी शिकायतें दर्ज करा रहे थे। ये शिकायतें किसी मकसद से नहीं, बल्कि सिर्फ लोगों को ब्लैकमेल करने के इरादे से की जा रही थीं। एलडीए की जांच में सामने आया है कि इन 28 लोगों ने मिलकर एक साल में कुल 2114 शिकायतें दर्ज कराईं। लिस्ट के मुताबिक, उर्वशी शर्मा ने सबसे ज्यादा 171 शिकायतें दर्ज कराई है। जबकि मो. फैजान ने 168, मो. सैफ ने 167, सरदार सतनाम सिंह ने 154, लक्ष्मीकांत सिंह ने 126, शिवराज मिश्रा ने 116 और निशांत सिंह ने 104 शिकायतें की है। इसी तरह इमरान मिर्जा ने 97, रजा अब्बास ने 89, रमेश साहू ने 89, अभिषेक पांडेय ने 89, संजय कुमार प्रजापति ने 82, तनमय राज सिंह ने 81 शिकायतें दर्ज कराई है। इस तरह कुल 28 लोगों ने 2114 शिकायतें की है।  सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ एक महिला—उर्वशी शर्मा—ने अकेले ही 171 शिकायतें की हैं।


शिकायतें नहीं, ब्लैकमेलिंग का ज़रिया

इन शिकायतों की आड़ में ये लोग निर्माण कार्य करवा रहे आम नागरिकों को डराते थे। कहते थे, "अगर पैसे नहीं दिए तो शिकायत दर्ज कर देंगे, काम रुकवा देंगे।" और जब लोग नहीं मानते, तो तुरंत एलडीए और IGRS पोर्टल पर अवैध निर्माण की शिकायत डाल दी जाती थी। यह एक ऐसा खेल बन गया था जिसमें आम आदमी फंसता चला गया—मानसिक रूप से भी और आर्थिक रूप से भी।


अब हर शिकायत की होगी गहराई से जांच

एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने खुद इस पूरे मामले की जांच करवाई और सख्त आदेश दिए कि अब से किसी भी निर्माण संबंधी शिकायत पर पहले स्थल निरीक्षण होगा, फिर तथ्यों की पुष्टि और उसके बाद ही कोई कार्रवाई। यानी अब कोई सिर्फ नाम और मकसद बताकर शिकायत दर्ज करा कर लोगों को परेशान नहीं कर सकेगा। एलडीए के अधिकारियों का कहना है कि यह एक संगठित गिरोह की तरह काम कर रहा था, जिसमें कुछ चेहरे सामने आ चुके हैं, लेकिन जांच अभी जारी है। हो सकता है इसके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क हो, जिसकी रिपोर्ट अब शासन को भेजी जा रही है।


यह पूरी कहानी बताती है कि कैसे जनहित के नाम पर कुछ लोग कानून का गलत इस्तेमाल कर रहे थे। लेकिन अब उनकी चालें पकड़ी जा चुकी हैं। एलडीए की इस कार्रवाई से उन हजारों आम लोगों को राहत मिलेगी जो बिना गलती के सिर्फ झूठी शिकायतों के कारण परेशान थे। अब उम्मीद है कि ऐसे फर्जी शिकायती गिरोह का खेल बंद होगा और वाकई जनहित के लिए बनी व्यवस्थाएं सही हाथों में रहेंगी।