UP NEWS: कानपुर में दो CMO आमने-सामने, अफसरों के टकराव से मचा बवाल

कानपुर: कानपुर में दो शीर्ष प्रशासनिक अफसरों के बीच चल रहा विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। डीएम और तत्कालीन सीएमओ के बीच टकराव अब कोर्ट-कचहरी होते हुए जमीनी स्तर तक पहुंच गया है। हालात ये बन गए कि बुधवार सुबह कानपुर सीएमओ ऑफिस में दो-दो अफसर एक साथ कामकाज संभालने पहुंच गए, जिससे वहां अफरातफरी मच गई।
कहां से शुरू हुआ विवाद
पूरा मामला उस वक्त सामने आया जब कानपुर के डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह और तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. हरिदत्त नेमी के बीच तीखी कहासुनी और मनमुटाव की खबरें सामने आईं। इस टकराव ने उस वक्त राजनीतिक रंग ले लिया जब भाजपा के जनप्रतिनिधि भी दो धड़ों में बंट गए—कुछ डीएम के पक्ष में तो कुछ सीएमओ के समर्थन में आ गए।
ऑडियो क्लिप बना नया विवाद
इस पूरे विवाद को और गर्माने का काम एक वायरल ऑडियो क्लिप ने किया, जिसमें तत्कालीन सीएमओ डॉ. नेमी कथित तौर पर डीएम के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे। हालांकि, डॉ. हरिदत्त नेमी ने इस ऑडियो को फर्जी बताते हुए दावा किया कि यह एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के जरिए तैयार किया गया है।
निलंबन के बाद कोर्ट से राहत
19 जून को शासन ने डॉ. हरिदत्त नेमी को निलंबित कर दिया था। इसके बाद डॉ. नेमी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की और दावा किया कि कोर्ट ने उनके निलंबन पर रोक लगा दी है। उन्होंने कहा कि उन्होंने न्यायालय के समक्ष मजबूती से अपनी बात रखी और अब वे कानपुर में दोबारा ज्वाइन करेंगे।
सीएमओ ऑफिस में दो अफसर
बुधवार सुबह हाईकोर्ट के स्थगनादेश के बाद कानपुर सीएमओ ऑफिस में दो अफसर पहुंच गए—वर्तमान सीएमओ डॉ. उदयनाथ और निलंबन के बाद लौटे डॉ. हरिदत्त नेमी। दोनों के ऑफिस पहुंचते ही वहां अफसरों और कर्मचारियों में भ्रम की स्थिति बन गई, जिसके बाद पुलिस और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को दखल देना पड़ा।
वर्तमान सीएमओ ने झाड़ी अनभिज्ञता
इस पूरे विवाद पर वर्तमान सीएमओ डॉ. उदयनाथ ने कहा कि उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है। उनके पास किसी भी प्रकार का पत्र या आधिकारिक आदेश नहीं आया है। साथ ही डीएम की ओर से शासन को पत्र भेजकर तत्कालीन सीएमओ की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए गए थे।
राजनीतिक रूप से भी बना मुद्दा
इस विवाद ने जब राजनीतिक मोड़ लिया, तो शहर के कुछ विधायक डीएम के समर्थन में आ गए जबकि कुछ ने सीएमओ के पक्ष में मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर उन्हें वापस तैनात रखने की अपील की। दोनों ओर से लिखे गए पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गए और विवाद और गहरा गया।
क्या होगा आगे?
अब सवाल यह है कि दो सीएमओ के एक साथ काम करने की स्थिति में स्वास्थ्य महकमे का प्रशासन कैसे चलेगा? क्या शासन इस मामले में स्पष्ट निर्देश जारी करेगा? और सबसे अहम, क्या कानपुर के लोगों की सेहत और सुविधाएं इस टकराव की भेंट चढ़ेंगी? अगले कुछ दिनों में सरकार और न्यायपालिका की तरफ से आने वाले आदेश इस पूरे मामले की दिशा तय करेंगे।