Prayagraj Kumbh Mela Stampede: प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में मची भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई है। मौनी अमावस्या पर मंगलवार देर रात लगभग 1:30 बजे संगम नोज पर भगदड़ मच गई थी। मृतकों में से 25 की पहचान हो चुकी है, जबकि 5 की पहचान अभी बाकी है। इस हादसे में 90 श्रद्धालु घायल हुए हैं। बुधवार देर शाम हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में डीआईजी वैभव कृष्ण और मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने घटना की पूरी जानकारी दी। आज हम आपको बताएंगे कि वो 5 सबसे बड़े कारण क्या थें जिसके कारण प्रयागराज में भगदड़ मची थी।
जानिए भगदड़ के 5 बड़े कारण
1. भगदड़ का पहला कारण रहा होल्डिंग एरिया से संगम की ओर लाखों श्रद्धालुओं को भेजना। श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने के लिए 84 होल्डिंग एरिया बनाए गए थे, लेकिन इनका सही उपयोग नहीं हुआ। काली मार्ग पार्किंग और अन्य स्थानों पर बैठे श्रद्धालुओं को रात 8 बजे के बाद संगम की ओर भेजना शुरू कर दिया गया था। इससे संगम पर भीड़ रात 9 बजे से ही बढ़ने लगी, जो स्नान के लिए बैठे रहे।
2. भगदड़ का दूसरा अहम कारण रहा संगम पर निकासी-प्रवेश का वन-वे प्लान। यह प्लान बुरी तरह फेल हुआ। दरअसल, हर स्नान के लिए प्रशासन ने वन-वे प्लान बनाया था। श्रद्धालु काली सड़क से त्रिवेणी बांध पार कर संगम अपर मार्ग से संगम नोज तक जाते और अक्षयवट मार्ग से बाहर निकलते। लेकिन यह प्लान असफल साबित हुआ। श्रद्धालु अक्षयवट मार्ग से बाहर निकलने के बजाय संगम अपर मार्ग से ही अंदर-बाहर होते रहे, जिससे अव्यवस्था फैल गई।
3. तीसरा कारण बना पांटून पुलों को बंद रखने से भीड़ अनियंत्रण हुई। मेला क्षेत्र में 30 पांटून पुल बनाए गए थे ताकि आवागमन सुगम हो, लेकिन 12-13 पुलों को हमेशा बंद रखा गया। झूंसी की ओर से संगम आने वाले श्रद्धालुओं को कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ा, जिससे बुजुर्ग और महिलाएं थककर संगम नोज पर ही बैठ गईं। इससे संगम क्षेत्र में भीड़ लगातार बढ़ती गई।
4. चौथा अहम कारण बना प्रशासन की मनमानी से बिगड़े हालात। दरअसल, मेले के दौरान सड़कों को चौड़ा किया गया, लेकिन अधिकांश समय उन्हें बंद रखा गया। प्रमुख मार्गों पर बैरिकेडिंग कर दी गई, जिससे श्रद्धालुओं को लंबी दूरी तक पैदल चलना पड़ा। थकान के कारण श्रद्धालु संगम किनारे बैठ गए और बाहर नहीं निकले, जिससे भीड़ बढ़ती चली गई।
5. भगदड़ का पांचवा कारण रहा राहत बलों की तैनाती में देरी होना। राहत और बचाव कार्यों के लिए CISF की एक कंपनी सेक्टर-10 में ठहराई गई थी। हादसे के दौरान जब CISF को बुलाया गया तो भीड़ अधिक होने के कारण उन्हें सेक्टर-3 तक पहुंचने में काफी समय लग गया। इस देरी से हालात और खराब हो गए।
भीड़ नियंत्रण के लिए नहीं किए गए पर्याप्त इंतजाम
बता दें कि, महाकुंभ के पहले दिन से ही मेले का माहौल आम माघ मेले के मकर संक्रांति या वसंत पंचमी जैसा नजर आने लगे थे। अमृत स्नान के लिए करोड़ों श्रद्धालुओं के प्रयागराज पहुंचने की संभावना पहले से थी। प्रशासन ने 8 से 10 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया था, लेकिन भीड़ नियंत्रण के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए। अधिकारियों ने तैयारी के दावे किए, लेकिन मामूली चूक ने बड़ा हादसा कर दिया।