Mahakumbh 2025: मोनालिसा, हर्षा रिछारिया से लेकर IIT बाबा तक...जानिए महाकुंभ से फेमस हुए ये चेहरे अब कहां है

प्रयागराज: महाकुंभ 2025 न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अभूतपूर्व था, बल्कि सोशल मीडिया पर भी यह आयोजन जबरदस्त चर्चा का विषय बना। महाकुंभ के दौरान कई अनोखे और दिलचस्प व्यक्तित्वों ने सुर्खियां बटोरीं, जिनमें हर्षा रिछारिया, आईआईटीयन बाबा, मोनालिसा, आकाश यादव, चाय वाला, चिमटे वाले बाबा और कई अन्य शामिल थे। इन सबकी लोकप्रियता ने सोशल मीडिया पर एक नया ट्रेंड पैदा किया।
सोशल मीडिया स्टार्स बने चर्चा का केंद्र
- चिमटे वाले बाबा: यूट्यूबर को गलत सवाल पूछने पर चिमटा मारने वाले बाबा ने कई दिनों तक सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंड किया। उनका वीडियो खूब वायरल हुआ, और उन्होंने एक नई पहचान बनाई।
- हर्षा रिछारिया (साध्वी): हर्षा रिछारिया महाकुंभ में साध्वी के रूप में छाईं और सोशल मीडिया पर काफी चर्चित रहीं। उनकी आध्यात्मिक उपस्थिति ने लाखों श्रद्धालुओं का ध्यान खींचा।
- मोनालिसा: भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की प्रसिद्ध अभिनेत्री मोनालिसा महाकुंभ में रुद्राक्ष की माला बेचने आईं थीं। अब वह बॉलीवुड में भी अपनी पहचान बना चुकी हैं और फिल्म मणिपुर डायरी की शूटिंग कर रही हैं।
- आईआईटीयन बाबा: आईआईटीयन बाबा ने अपनी गहरी बातों से सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उनके बयान और विचार चर्चा का विषय बने रहे।
- आकाश यादव: प्रेमिका की सलाह पर दातून बेचने आए आकाश यादव को इतनी प्रसिद्धि मिली कि उन्हें मुंबई में टीवी शो में बुलाया गया। उनका सफर भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
प्रदर्शनी का भी रहा महत्वपूर्ण योगदान
महाकुंभ के दौरान आयोजित ओडीओपी प्रदर्शनी ने भी जबरदस्त आकर्षण बटोरा। देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं ने प्रदर्शनी का भ्रमण किया और विभिन्न उत्पादों की गुणवत्ता की सराहना की। प्रदर्शनी में बागपत की चादर, हाथरस की हींग और अलीगढ़ के पीतल के सामान प्रमुख आकर्षण बने। इस प्रदर्शनी ने न केवल सांस्कृतिक धरोहर को प्रस्तुत किया बल्कि उद्यमियों के लिए भी एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म प्रदान किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी इस प्रदर्शनी का दौरा किया और उद्यमियों का हौसला बढ़ाया।
महाकुंभ में सामाजिक कार्य और सहायता
महाकुंभ ने सिर्फ धार्मिक उद्देश्यों को ही पूरा नहीं किया, बल्कि यह एक सामाजिक दायित्व भी निभाता रहा। भूले-भटके शिविर की मदद से महाकुंभ में लगभग 5500 महिलाओं और कई बच्चों को उनके परिवारों से मिलवाया गया। यह शिविर 1954 से लगातार कुंभ और अर्धकुंभ में अपनी सेवा प्रदान कर रहा है। इस शिविर का संचालन हेमवती नंदन बहुगुणा स्मृति समिति द्वारा किया जाता है। पुलिस और स्वयंसेवकों के सहयोग से शिविर में लाए गए बच्चों और महिलाओं का हुलिया, नाम और जनपद की जानकारी लाउडस्पीकर के माध्यम से लगातार घोषित की जाती रही। इस दौरान अपनों से बिछड़े हुए लोगों को उनके परिवारों से मिलवाया गया।
निरंतर सेवा और सहायताएं
शिविर में लाए गए बच्चों और महिलाओं को निरंतर भोजन, दवाइयां और अन्य जरूरी सुविधाएं प्रदान की गईं। इसके अलावा, संस्था द्वारा 15 दिनों तक भंडारा भी चलाया गया, जिससे जरूरतमंदों को मदद मिली। हालांकि, कुछ लोग अपने परिवार से नहीं मिल सके, जैसे छह वर्षीय बाबुल, जो चाइल्ड लाइन के माध्यम से बाल संरक्षण गृह में रह गया।
महाकुंभ की सेवा भावना और प्रभाव
महाकुंभ 2025 ने न केवल धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक समागम को बढ़ावा दिया, बल्कि इसे एक सामाजिक जिम्मेदारी और मानवता के महापर्व के रूप में भी प्रस्तुत किया। यहां धार्मिक आयोजनों के साथ-साथ सेवा कार्यों, सांस्कृतिक प्रदर्शनी और सोशल मीडिया पर वायरल हुए दिलचस्प घटनाक्रमों ने इसे यादगार बना दिया। यह आयोजन निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।