प्रयागराज: महाकुंभ का महत्व और पवित्रता अनेकों श्रद्धालुओं के लिए अतुलनीय है, लेकिन इस बार महाकुंभ में एक नया ट्रेंड देखने को मिला है, जिसे "डिजिटल स्नान" के नाम से सोशल मीडिया पर प्रचारित किया जा रहा है। दीपक गोयल नामक एक युवक ने दावा किया है कि वह इंटरनेट के माध्यम से श्रद्धालुओं को पवित्र त्रिवेणी में स्नान करवा सकता है—वह भी डिजिटल तरीके से।
डिजिटल स्नान का दावा
दीपक गोयल ने एक वीडियो साझा किया, जिसमें वह कहता है कि जो लोग महाकुंभ में शारीरिक रूप से स्नान नहीं कर पा रहे हैं, वे उसे अपनी फोटो भेज सकते हैं और 1,100 रुपये का शुल्क चुकता कर सकते हैं। इसके बाद वह उनकी फोटो को संगम में "डुबकी" लगवाएगा और वीडियो बनाकर भेजेगा। उसने इस स्टार्टअप को "प्रयाग इंटरप्राइजेज" के नाम से शुरू किया है, और वीडियो विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वायरल हो चुका है।
वीडियो पर मिली प्रतिक्रियाएं
हालांकि, इस विचार पर लोगों की मिश्रित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ इसे एक नया और आकर्षक स्टार्टअप मान रहे हैं, जबकि अधिकांश लोग इसे केवल एक व्यवसायिक चाल और श्रद्धा का मजाक उड़ाने वाला तरीका मान रहे हैं। वीडियो पर युवकों को जमकर आलोचना भी झेलनी पड़ी है।
डिजिटल स्नान की धार्मिकता पर प्रश्न
इस विषय पर शास्त्रों और धार्मिक दृष्टिकोण से बात करें तो ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री जी महराज ने कहा कि शास्त्रों में डिजिटल स्नान जैसी कोई विधि नहीं है। उनका कहना था कि यह एक नया प्रोफेशनल तरीका और पैसे कमाने का उपाय है, जिसका कोई धार्मिक या पुण्य लाभ नहीं है। शास्त्रों में कहा गया है कि स्नान केवल शारीरिक रूप से ही होता है, और यह पवित्रता और पुण्य का कारण बनता है, न कि किसी फोटो के माध्यम से।
विधि से स्नान का महत्व
उन्होंने बताया कि जब कोई व्यक्ति अपने रिश्तेदारों या ईष्ट देवता का नाम लेकर गंगा में डुबकी लगाता है, तो उसे पुण्य लाभ होता है। साथ ही, वस्त्र स्नान, जल व गंगा के बालू का स्नान, आचार्य द्वारा मंत्र जाप और दान आदि से ही पुण्य प्राप्त होता है। इन विधियों का पालन शास्त्रों में निर्धारित है।