संभल, उत्तर प्रदेश: हालिया हिंसा के बाद तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने क्षेत्र में सख्त कदम उठाए हैं। मुरादाबाद मंडलायुक्त आंजनेय कुमार सिंह ने शनिवार को स्पष्ट किया कि हालात सामान्य होने तक किसी भी प्रतिनिधिमंडल को संभल क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। 19 नवंबर को स्थानीय अदालत द्वारा जामा मस्जिद का सर्वे कराने का आदेश दिया गया, जिसके बाद विवाद शुरू हुआ। याचिका में दावा किया गया था कि मस्जिद का स्थल पहले हरिहर मंदिर था। इस आदेश के खिलाफ हुए प्रदर्शन में पुलिस और स्थानीय लोगों के बीच झड़पें हो गईं, जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई।
क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा बढ़ा दी गई है। अब तक 30 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और मामले की गहन जांच चल रही है।इसके साथ ही क्षेत्र में स्थायी आदेश लागू हैं। प्रशासन ने राजनीतिक दलों से संयम बरतने और सहयोग करने की अपील की है। तो वहीं समाजवादी पार्टी ने इस मामले में राज्य सरकार की कार्रवाई की निंदा की है।
आर्थिक मदद का ऐलान: सपा ने हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों को पांच लाख रुपये सहायता देने का फैसला किया है।
मुआवजे की मांग: पार्टी ने राज्य सरकार से पीड़ित परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये मुआवजा देने और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
नेतृत्व की नजरबंदी: सपा ने आरोप लगाया कि शनिवार को यूपी सपा अध्यक्ष श्यामलाल पाल को नजरबंद कर दिया गया।
आगे की कार्रवाई.
सपा के वरिष्ठ नेता माता प्रसाद पांडे ने कहा कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव से चर्चा के बाद संभल दौरे की नई तारीख तय की जाएगी। उन्होंने प्रशासन से क्षेत्र में हालात जल्द सामान्य बनाने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की। संभल में हिंसा के बाद प्रशासन और विपक्ष के बीच राजनीतिक तनाव बढ़ गया है। प्रशासन ने सख्ती बरतते हुए कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कदम उठाए हैं, जबकि विपक्ष निष्पक्ष जांच और मुआवजे की मांग कर रहा है। फिलहाल, क्षेत्र में शांति बहाल करना और सटीक जांच करना प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।