Teacher News: हरिराम तिवारी, जो पहले एक सहायक अध्यापक थे, सेवानिवृत्ति के बाद भी आराम करने के बजाय एक नई दिशा में काम कर रहे हैं। उनका जीवन अब औषधीय पौधों की खेती को समर्पित हो गया है, और उनका उद्देश्य लोगों के स्वास्थ्य में सुधार लाना है। उनकी बगिया में गिलोय, चंदन, अश्वगंधा, मीठी नीम और एलोवेरा जैसे औषधीय पौधे हैं, जो प्राकृतिक रूप से कई बीमारियों के इलाज में सहायक माने जाते हैं। ये पौधे खांसी, जुकाम, पीलिया और कुष्ठ रोग जैसी समस्याओं का उपचार करने में सहायक हैं।
हरिराम तिवारी का प्राकृतिक चिकित्सा की ओर झुकाव
हरिराम का मानना है कि प्राकृतिक उपचार, यानी औषधीय पौधों का उपयोग, एलोपैथिक दवाओं की अपेक्षा अधिक सुरक्षित और प्रभावी होता है। उनका कहना है कि जड़ी-बूटियां न केवल शरीर को प्राकृतिक तरीके से ठीक करती हैं, बल्कि उनमें कोई हानिकारक दुष्प्रभाव भी नहीं होते हैं। हर महीने हरिराम नए औषधीय पौधे लगाते हैं और उन्हें विशेष देखभाल के साथ विकसित करते हैं। वे लोगों को भी प्रेरित करते हैं कि वे अपने घरों और बाग-बगीचों में अधिक से अधिक औषधीय पौधे लगाएं ताकि जीवन में स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान प्राकृतिक रूप से किया जा सके।
औषधीय बगिया के लाभ और हरिराम की सेवा भावना
हरिराम की बगिया एक प्रकार का प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र बन गई है, जहाँ दूर-दूर से लोग उनसे उपचार और सलाह के लिए आते हैं। वे प्रत्येक व्यक्ति को उसके स्वास्थ्य के अनुसार औषधीय पौधों का सुझाव देते हैं। उनका मानना है कि इन पौधों से निकले जूस, पत्तियां और जड़ें, प्राकृतिक एंटीबायोटिक्स का काम करती हैं। उदाहरण के लिए, गिलोय से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा मिलता है, अश्वगंधा तनाव कम करने में सहायक है, और एलोवेरा त्वचा संबंधी समस्याओं का उपचार करता है।
हरिराम तिवारी का सपना और समर्पण
हरिराम का सपना है कि उनकी मेहनत और उनके द्वारा लगाए गए औषधीय पौधों के कारण उनका नाम हमेशा याद रखा जाए। वे कहते हैं कि जब तक वे जीवित हैं, तब तक औषधीय पौधों की देखभाल और उनकी बगिया को समृद्ध करने का कार्य करते रहेंगे। उनका यह समर्पण न केवल उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने के प्रयास का हिस्सा है, बल्कि समाज के प्रति उनके योगदान को भी दर्शाता है।
हरिराम तिवारी का यह प्रयास वास्तव में सराहनीय है, जो समाज के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। उनका जीवन यह संदेश देता है कि सेवानिवृत्ति के बाद भी, समाज के लिए कुछ अच्छा करने के लिए समय और ऊर्जा का सही उपयोग किया जा सकता है।