चल गया तो चांद तक.. नहीं तो शाम तक...चीन में उद्घाटन के 44वें दिन ढह गया पुल, 758 मीटर लंबा और 625 मीटर थी ऊंचाई
patna - चीन के सिचुआन प्रांत में एक अत्यंत महत्वपूर्ण अवसंरचना पर प्राकृतिक आपदा का भीषण प्रहार हुआ है। इसी साल 28 सितंबर को यातायात के लिए खोला गया 758 मीटर लंबा होंगची ब्रिज, जिसका निर्माण मैदानी इलाकों को तिब्बत से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर किया गया था।
मंगलवार दोपहर को आंशिक रूप से ढह गया। यह पुल घाटी के तल से लगभग 625 मीटर की ऊंचाई पर स्थित था, लेकिन आस-पास की अस्थिर पहाड़ी ढलानों ने इसकी नींव को हिला दिया। यह घटना चीन की पर्वतीय क्षेत्रों में तेजी से हो रहे निर्माण की सुरक्षा और स्थिरता पर गंभीर सवाल खड़े करती है।
हादसा भूस्खलन के कारण हुआ, जिसकी चेतावनी सोमवार को ही मिल गई थी। पुल के आसपास की सड़कों और पहाड़ी ढलानों पर दरारें दिखाई देने के बाद, स्थानीय प्रशासन ने दूरदर्शिता दिखाते हुए सुरक्षा कारणों से पुल को तत्काल बंद कर दिया था। मंगलवार दोपहर तक, स्थिति गंभीर रूप से बिगड़ गई; पहाड़ी से भारी मात्रा में मिट्टी खिसकने लगी, जिसके परिणामस्वरूप पुल का एक हिस्सा टूटकर नीचे नदी और पत्थरों में गिर गया। इस समय सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में धूल का घना गुबार और पुल के खंभों का ताश के पत्तों की तरह ढहना दिखाई दे रहा है।
गनीमत यह रही कि प्रशासन की त्वरित कार्रवाई के चलते इस हादसे में किसी के घायल होने या हताहत होने की कोई सूचना नहीं है। पुल को पहले ही बंद कर दिए जाने से एक बड़ी आपदा टल गई। हालांकि, उद्घाटन के महज कुछ ही महीनों के भीतर इतना महत्वपूर्ण पुल ढह जाना चीन की इंजीनियरिंग गुणवत्ता और पर्वतीय क्षेत्रों में भू-तकनीकी चुनौतियों के प्रबंधन पर सवाल खड़े करता है। होंगची ब्रिज तिब्बत के साथ चीन के संपर्क के लिए एक रणनीतिक कड़ी था, और इसके ढहने से अब क्षेत्र में आवागमन बाधित होगा।
यह घटना, निर्माण की तीव्र गति पर गुणवत्ता और भूवैज्ञानिक स्थिरता को प्राथमिकता देने की आवश्यकता को रेखांकित करती है। स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया है कि सिचुआन जैसे भूकंप और भूस्खलन-संवेदनशील क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन और भू-वैज्ञानिक अस्थिरता को ध्यान में रखकर इंजीनियरिंग डिजाइन और निर्माण मानकों की गहन समीक्षा की जानी चाहिए।
पुलिस ने मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है, जिसका उद्देश्य इस बात का पता लगाना है कि यह ढहना केवल प्राकृतिक आपदा का परिणाम था या फिर इसमें निर्माण संबंधी खामियों का भी कोई योगदान था।