Pakistan Taliban conflict: तालिबान का खौफनामा, बैकफुट पर आईएसआई ! बंकर में छिपे मुनीर, हाफ़िज़ सईद की रैली पर टीटीपी का आतंकी का साया , लाहौर की मीनार-ए-पाकिस्तान पर दहशत की दस्तक

Pakistan Taliban conflict: पाकिस्तान इस वक़्त अपने ही बनाए जाल में उलझा हुआ है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान का बढ़ता खौफ सियासी और फौजी सरगर्मियों पर गहरा साया बन चुका है।

Pakistan Taliban conflict
लाहौर की मीनार-ए-पाकिस्तान पर दहशत की दस्तक- फोटो : social Media

Pakistan Taliban conflict: पाकिस्तान इस वक़्त अपने ही बनाए जाल में उलझा हुआ है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का बढ़ता खौफ़ देश की सियासी और फौजी सरगर्मियों पर गहरा साया बन चुका है। खैबर पख्तूनख्वा और सीमावर्ती इलाक़ों में टीटीपी के हमलों ने न सिर्फ़ पाकिस्तानी फौज की नींद उड़ा दी है, बल्कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के दिलों में भी दहशत भर दी है।

इस डर का सबसे बड़ा सबूत 2 नवंबर को लाहौर में होने वाली हाफ़िज़ सईद की विशाल रैली का अचानक रद्द होना है। यह रैली मीनार-ए-पाकिस्तान पर आयोजित होने वाली थी, जहां हाफ़िज़ सईद लंबे अरसे बाद जनता को संबोधित करने की तैयारी में थे। लेकिन अंतिम वक़्त में यह कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने खुद आदेश जारी कर कार्यक्रम स्थगित कराया, क्योंकि उसे ख़बर मिली थी कि टीटीपी इस रैली को निशाना बना सकती है।

सूत्रों के मुताबिक़, टीटीपी के हमलों की बढ़ती रफ्तार और खैबर पख्तूनख्वा, बाजौर और दिर जैसे इलाकों में बढ़ते आतंकी ऑपरेशनों ने पाकिस्तान की हुकूमत को सकते में डाल दिया है। बीते महीनों में टीटीपी ने कई फौजी ठिकानों, पुलिस चौकियों और सुरक्षा काफ़िलों पर हमले किए हैं। इस सिलसिले ने यह साफ़ कर दिया है कि पाकिस्तान की सरज़मीन अब अपने ही आतंकी संगठनों के लिए असुरक्षित हो गई है।

हाफ़िज़ सईद की रैली का रद्द होना न सिर्फ़ सुरक्षा एजेंसियों की नाकामी को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आतंक के खेल में पाकिस्तान अब शिकारी नहीं, बल्कि शिकार बन चुका है। मीनार-ए-पाकिस्तान  जो कभी कौमी गर्व की निशानी मानी जाती थी  अब डर और अनिश्चितता का प्रतीक बन गई है।

तालिबान की बढ़ती दहशत और आईएसआई की बेबसी पाकिस्तान के उस दोहरे चेहरे को सामने लाती है, जिसने कभी आतंक को "स्ट्रेटेजिक एसेट" कहा था, और आज उसी आग में खुद झुलस रहा है।अब सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान अपनी ही पैदाइश राक्षस टीटीपी को काबू कर पाएगा, या फिर यह खौफनामा उसकी हुकूमत को निगल जाएगा?