Plane Crash: अहमदाबाद की ज़मीं पर टूटा आसमान का विश्वास, एयर इंडिया AI-171 की विभीषिका में 241 मृत, दुर्गंध और मातम के साए में डूबा मेडिकल कॉलेज परिसर, ब्लैक बॉक्स से टटोले जाएंगे हादसे के सुराग
Plane Crash:हवा में विमान के जलते ईंधन और जले हुए मानव शरीरों की दुर्गंध आज भी भारीपन घोल रही है। दुर्घटनास्थल के इर्द-गिर्द खड़े पेड़ों के काले पड़े तनों और झुलसे हुए पत्तों पर अब भी आग की विभीषिका के निशान मौजूद हैं
Plane Crash: गुजरात की राजधानी अहमदाबाद की शांत दोपहर, गुरुवार को भय और शोक के तूफान में बदल गई जब आसमान चीरती एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 महज कुछ ही मिनटों में मौत के सन्नाटे में समा गई। लंदन के गैटविक एयरपोर्ट की ओर बढ़ती यह उड़ान, टेकऑफ के चंद पलों बाद ही मेघानीनगर क्षेत्र के बी.जे. मेडिकल कॉलेज छात्रावास की छत पर मौत का तांडव बनकर गिरी। इस भयावह त्रासदी में 241 यात्रियों की मौत की पुष्टि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की है। यह हादसा विश्व विमानन इतिहास के सबसे बड़े त्रासदियों में शुमार हो चुका है।
हादसे के कुछ घंटों बाद भी, बीजे मेडिकल कॉलेज और सिविल अस्पताल परिसर की हवा में विमान के जलते ईंधन और जले हुए मानव शरीरों की दुर्गंध आज भी भारीपन घोल रही है। दुर्घटनास्थल के इर्द-गिर्द खड़े पेड़ों के काले पड़े तनों और झुलसे हुए पत्तों पर अब भी आग की विभीषिका के निशान मौजूद हैं—यह चुपचाप चीखते गवाह हैं उस पल के, जब जीवन ने पल भर में दम तोड़ दिया।
मेडिकल कॉलेज परिसर में जमा शवों से उठती तीव्र गंध, न केवल अस्पताल स्टाफ और डॉक्टरों बल्कि पूरे शहर को उस त्रासदी की भयावहता का अहसास करवा रही है। शवों की यह दुर्गंध अब तक की सबसे भीषण मानवीय त्रासदियों में से एक की प्रमाणिकता बनकर फैल रही है।
242 लोगों से भरे इस विमान में, एकमात्र जीवित व्यक्ति—भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक—रमेश विश्वास कुमार को अब अस्पताल में इलाज दिया जा रहा है। विमान में सवार कुल 242 लोगों में 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली, 1 कनाडाई नागरिक तथा 12 क्रू सदस्य शामिल थे। इस भयावह मंजर से केवल एक यात्री—ब्रिटिश नागरिक रमेश विश्वास कुमार—11A सीट से चमत्कारी रूप से जीवित बच निकले। उन्हें इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। शेष सब, आसमान की गोद से चिर निद्रा में समा गए।
सबसे बड़ा झटका देश को तब लगा, जब यह पुष्टि हुई कि गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता विजय रूपाणी इस उड़ान में सवार थे। बिजनेस क्लास की 2D सीट पर बैठे रूपाणी की भी इस दुर्घटना में मृत्यु हो गई। राजनीतिक, सामाजिक और मानवीय संवेदनाएं इस समाचार से गहराई तक व्यथित हैं।
अब पूरा देश उस ‘ब्लैक बॉक्स’ की ओर देख रहा है, जो इस त्रासदी की अंतिम सच्चाई अपने भीतर समेटे हुए है। ‘ब्लैक बॉक्स’—जो दरअसल दो उपकरणों का नाम है—फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR), इस समय विमान दुर्घटना की पहेली का एकमात्र उत्तर बन सकते हैं। FDR इंजन की गति, ऊंचाई, पायलट की क्रियाएं और चेतावनी संकेत रिकॉर्ड करता है, जबकि CVR पायलटों की बातचीत, नियंत्रण टावर से संवाद और अंतिम क्षणों की आवाजों को संजोता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, टेकऑफ के बाद 625 फीट की ऊंचाई तक ही पहुंच पाया विमान और उसके तुरंत बाद ‘मेडे’ कॉल भेजना, किसी गंभीर तकनीकी खराबी, इंजन फेल्योर या पायलट की स्थिति को दर्शाता है। इन सुरागों को उजागर करने में हफ्तों से लेकर महीनों तक का वक्त लग सकता है।
टाटा ग्रुप के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने मृतकों के परिजनों के लिए ₹1 करोड़ की सहायता और घायलों के इलाज की पूरी जिम्मेदारी लेने की घोषणा की है। साथ ही मेडिकल कॉलेज के छात्रावास के पुनर्निर्माण में भी सहायता देने की बात कही है।
DNA पहचान की चुनौती—
गृह मंत्री के अनुसार, सभी शवों की पहचान डीएनए जांच से की जाएगी। इसके लिए 1000 से अधिक टेस्ट कराए जाएंगे और विदेशों में बसे परिजनों से भी संपर्क साधा गया है। गुजरात में इतने बड़े स्तर की पहचान प्रक्रिया की व्यवस्था की जा रही है।
यह दुर्घटना केवल एक तकनीकी असफलता नहीं, बल्कि मानवीय करुणा, शोक और संवेदना का ऐसा अध्याय बन गई है जिसे इतिहास वर्षों तक याद रखेगा। आसमान से टूटी यह विपत्ति अब विज्ञान और संवेदनशील प्रशासन की अग्निपरीक्षा है।