Shivraj patil passes away:कांग्रेस के कद्दावर स्तंभ पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल नहीं रहे, मौन हो गया सियासत का महायोद्धा

Shivraj patil passes away: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व लोकसभा स्पीकर और देश के पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल इस दुनिया को अलविदा कह गए ।

पूर्व गृह मंत्री शिवराज पाटिल नहीं रहे- फोटो : social Media

Shivraj patil passes away: आज सुबह ऐसी खबर आई जिसने भारतीय राजनीति की रगों में सनसनी दौड़ा दी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व लोकसभा स्पीकर और देश के पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल जिन्हें मराठवाड़ा की पहचान और राष्ट्रीय सियासत की निर्भीक आवाज माना जाता था 90 वर्ष की उम्र में महाराष्ट्र के लातूर में इस दुनिया को अलविदा कह गए।

सुबह 6:30 बजे, लातूर स्थित अपने निवास ‘देवघर’ में उन्होंने अंतिम सांस ली। लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे पाटिल कुछ महीनों से घर पर ही उपचाररत थे।जैसे ही उनके निधन की खबर फैली लातूर का राजनीतिक गलियारा, कांग्रेस दफ्तर और कार्यकर्ताओं में सन्नाटा और आंसुओं की लहर दौड़ गई।

उनका सियासी सफर, किसी महागाथा से कम नहीं- 1973 में विधायक, फिर लगातार 7 बार लोकसभा सांसद, लोकसभा के सभापति, कई केंद्रीय मंत्रालय, और अंततः देश के गृह मंत्री के रूप में सबसे अहम जिम्मेदारी।

मराठवाड़ा की मिट्टी से उठे और दिल्ली की सत्ता के शीर्ष तक पहुंचे शिवराज पाटिल ने अपनी शांत, संयत और गरिमामय राजनीति से एक पहचान बनाई। उनका पूरा नाम शिवराज पाटिल चाकुरकर था और जिन लोगों ने उन्हें करीब से देखा, वे जानते थे कि वह नाम जितना सरल था, व्यक्तित्व उतना ही प्रभावशाली।

साल 2008 के मुंबई आतंकी हमले ने देश को झकझोर दिया था। गृह मंत्री के तौर पर सुरक्षा चूक की नैतिक जिम्मेदारी उन्होंने स्वयं स्वीकार की और बिना किसी राजनीतिक जिद या बहाने के, अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया। भारतीय राजनीति में ऐसे उदाहरण आज भी दुर्लभ हैं।उनके परिवार में बेटे शैलेश पाटिल, बहू अर्चना, और दो पोतियां हैं। बहू अर्चना ने पिछले साल BJP के टिकट पर लातूर शहर से विधानसभा चुनाव भी लड़ा था, जो यह दर्शाता है कि पाटिल परिवार की राजनीतिक पहचान दलों की सीमाओं से भी बड़ी थी।

ग्रेस कार्यकर्ता, शुभचिंतक, ग्रामीण, बुज़ुर्ग… जो बरसों से उन्हें अपने नेता, पिता-सम, मार्गदर्शक के रूप में देखते आए। घर के बाहर पुलिस बल की तैनाती बढ़ाई गई है। उनका अंतिम संस्कार शनिवार को होने की उम्मीद है।

कांग्रेस पार्टी ने उनके निधन को “एक युग का अंत” बताया है।आज भारतीय राजनीति ने एक ऐसा सौम्य, विनम्र और सिद्धांतों पर अडिग योद्धा खो दिया—जिसकी कमी सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, पूरा देश महसूस करेगा शिवराज पाटिल भले ही चले गए हों…पर उनका शांत तेज, सियासी मर्यादा और नैतिकता की मिसाल हमेशा जिंदा रहेगी।