भारत में चार नए लेबर कोड लागू, नौकरीपेशा लोगों को मिलेंगे जबरदस्त फायदे

देश के करोड़ों कर्मचारियों और मजदूरों के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, 21 नवंबर 2025 से चार नए लेबर कोड (Labour Codes) आधिकारिक तौर पर लागू कर दिए हैं. ये श्रम कानूनों में ऐतिहासिक सुधार और पारदर्शिता वाले है.

भारत में चार नए लेबर कोड लागू, नौकरीपेशा लोगों को मिलेंगे जबरदस्त फायदे- फोटो : NEWS 4 NATION

भारत सरकार ने देश के करोड़ों कर्मचारियों और मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए 21 नवंबर 2025 से चार नए लेबर कोड (Labour Codes) आधिकारिक तौर पर लागू कर दिए हैं। यह एक ऐतिहासिक कदम है जिसका उद्देश्य पुराने, जटिल और 29 श्रम कानूनों को मिलाकर एक सरल और पारदर्शी व्यवस्था स्थापित करना है। इन चार कोड्स में से एक 'ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड- 2020' (OSH Code) ने 13 पुराने केंद्रीय श्रम कानूनों की जगह ले ली है। सरकार का मुख्य लक्ष्य श्रम परिदृश्य को आधुनिक बनाना, नौकरी की सुरक्षा बढ़ाना और देश की अर्थव्यवस्था के लिए 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' को बढ़ावा देना है।

कर्मचारियों के लिए मुख्य बदलाव और आर्थिक लाभ

इन नए नियमों के लागू होने से कर्मचारियों को कई महत्वपूर्ण लाभ मिलना शुरू हो गए हैं। अब हर कर्मचारी को अनिवार्य अपॉइंटमेंट लेटर मिलेगा, जिसमें वेतन और सामाजिक सुरक्षा लाभों का पूरा विवरण होगा, जिससे पारदर्शिता आएगी। पेड लीव के नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है; अब साल में 240 दिन के बजाय केवल 180 दिन काम करने पर ही कर्मचारी सवेतन छुट्टी (Paid Leave) का हकदार होगा। इसके अलावा, काम के घंटे 8 घंटे प्रतिदिन (या 48 घंटे प्रति सप्ताह) फिक्स किए गए हैं। सबसे बड़ा आर्थिक लाभ यह है कि तय समय से अधिक काम करने पर ओवरटाइम का दोगुना वेतन मिलेगा।

नौकरीपेशा के लिए क्या-क्या बदला?

नए लेबर कोड्स के तहत, अलग-अलग सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों और मजदूरों को कई बड़े फायदे मिलने शुरू हो गए हैं:

1. अनिवार्य अपॉइंटमेंट लेटर:अब हर कर्मचारी को कंपनी की तरफ से एक औपचारिक अपॉइंटमेंट लेटर (Appointment Letter) देना अनिवार्य होगा। इसमें पद, वेतन और सामाजिक सुरक्षा के लाभों की पूरी जानकारी होगी, जिससे नौकरी में पारदर्शिता आएगी।

2. पेड लीव के नियम बदले:पहले कर्मचारियों को साल में 240 दिन काम करने पर 'पेड लीव' (Paid Leave) मिलती थी, लेकिन अब इसे घटाकर 180 दिन कर दिया गया है। यानी अब 6 महीने काम करने पर ही आप छुट्टी के हकदार होंगे।

3. काम के घंटे फिक्स:किसी भी कर्मचारी से दिन में 8 घंटे या हफ्ते में 48 घंटे से ज्यादा काम नहीं कराया जा सकता। हालांकि, सरकारें 4, 5 या 6 दिन के वर्क-वीक (Workweek) के नियम बना सकती हैं।

4. दोगुना ओवरटाइम:अगर कोई कर्मचारी तय समय से ज्यादा काम करता है, तो उसे ओवरटाइम (Overtime) का दोगुना वेतन मिल सकता है।

5. प्रवासी मजदूरों को सुरक्षा:अब जो मजदूर खुद या ठेकेदार के जरिए दूसरे राज्य में काम करने जाते हैं, उन्हें भी प्रवासी मजदूर की परिभाषा में शामिल किया गया है। उनके लिए एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाया जा रहा है ताकि उन्हें सामाजिक सुरक्षा मिल सके।

सुरक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा का विस्तार

नया OSH कोड कर्मचारियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देता है। अब सुरक्षा और स्वास्थ्य के नियम केवल कुछ ही क्षेत्रों तक सीमित न रहकर सभी क्षेत्रों में लागू होंगे। इसके तहत, कर्मचारियों का सालाना फ्री हेल्थ चेकअप कराना अनिवार्य होगा। बड़ी फैक्ट्रियों और निर्माण स्थलों पर सुरक्षा समितियां बनाई जाएंगी। साथ ही, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए एक सोशल सिक्योरिटी फंड बनाया जाएगा। यदि किसी गंभीर चोट या मृत्यु के मामले में कोर्ट जुर्माना लगाता है, तो जुर्माने की 50% राशि सीधे पीड़ित या उसके वारिस को देने का प्रावधान किया गया है। साथ ही, अब प्रवासी मजदूरों को भी सामाजिक सुरक्षा लाभ सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार किया जा रहा है।

सुरक्षा और सेहत के लिए तगड़े इंतजाम

नए OSH Code ने सुरक्षा और स्वास्थ्य के नियमों को सिर्फ 7 सेक्टर तक सीमित न रखकर सभी क्षेत्रों में लागू कर दिया है:

1. कर्मचारियों का सालाना फ्री हेल्थ चेकअप (Health Checkup) अनिवार्य कर दिया गया है।

2. बड़ी फैक्ट्रियों, निर्माण स्थलों और खदानों में सुरक्षा समितियां बनाई जाएंगी।

3. पूरे देश में सुरक्षा मानक तय करने के लिए एक राष्ट्रीय बोर्ड बनेगा।

4. असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए एक सोशल सिक्योरिटी फंड (Social Security Fund) बनाया जाएगा।

महिलाओं और डिजिटल वर्कर्स के लिए नई पहचान

लैंगिक समानता (Gender Equality) की दिशा में कदम बढ़ाते हुए, इन कोड्स में महिलाओं को नाइट शिफ्ट सहित किसी भी शिफ्ट में काम करने की मंजूरी दी गई है। हालांकि, कंपनियों को उनकी सुरक्षा, कार्यस्थल पर सुविधाओं और आने-जाने की व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी। श्रम की परिभाषा को आधुनिक बनाते हुए, इसमें अब डिजिटल और ऑडियो-विजुअल वर्कर्स, डबिंग आर्टिस्ट, स्टंट परफॉर्मर्स और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों को भी शामिल किया गया है। इसका अर्थ है कि अब इन्हें भी वही कानूनी सुरक्षा और अधिकार प्राप्त होंगे जो पारंपरिक उद्योगों के कर्मचारियों को मिलते हैं।