Impeachmet against CEC: चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग ला सकता है विपक्ष, वोट चोरी पर संसद में संग्राम, सत्ता–विपक्ष आमने-सामने
Impeachmet against CEC: कांग्रेस समेत इंडिया ब्लॉक की पार्टियां मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर गंभीरता से विचार कर रही हैं।
Impeachmet against CEC:संसद का मानसून सत्र अपने 18वें दिन गरमागर्मी और टकराव के रंग में डूबा रहा। लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई, वैसे ही विपक्ष ने बिहार वोटर वेरिफिकेशन और वोट चोरी के आरोप को लेकर जमकर हंगामा शुरू कर दिया। संसद परिसर में गूंजते रहे नारे “वोट चोर गद्दी छोड़ो” और “वी वॉन्ट जस्टिस”यह संकेत देने के लिए काफी थे कि सत्र का एजेंडा अब केवल विधायी कामकाज नहीं, बल्कि आरोप-प्रत्यारोप का अखाड़ा बन चुका है।
लोकसभा-राज्यसभा में हंगामा, कार्यवाही स्थगित
लोकसभा में प्रश्नकाल चल ही रहा था कि विपक्षी सांसदों ने सदन के बीचोबीच आकर नारेबाजी शुरू कर दी। लोकसभा अध्यक्ष की बार-बार की चेतावनी के बावजूद शोरगुल थमता नहीं दिखा, और अंततः सदन को दोपहर 12 बजे तक स्थगित करना पड़ा।राज्यसभा का हाल भी इससे अलग नहीं रहा। हंगामे और नारेबाजी के कारण सभापति ने कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दिया।
महाभियोग प्रस्ताव की चर्चा तेज़
विपक्ष की नाराज़गी का बड़ा कारण है चुनाव आयोग की हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को साफ कहा था कि “राहुल गांधी की ओर से प्रस्तुत PPT का डेटा हमारा नहीं है। यदि कांग्रेस अपने आरोपों का हलफनामा सात दिन में पेश नहीं करती, तो उन्हें निराधार माना जाएगा।”यही बयान विपक्ष के लिए चिंगारी साबित हुआ। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस समेत इंडिया ब्लॉक की पार्टियां मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर गंभीरता से विचार कर रही हैं।कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सैयद नसीर हुसैन ने भी एएनआई से बातचीत में कहा कि जरूरत पड़ने पर हम महाभियोग प्रस्ताव समेत हर लोकतांत्रिक हथियार का इस्तेमाल करेंगे। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस पर अभी औपचारिक चर्चा नहीं हुई है।
इंडिया ब्लॉक की बैठक और रणनीति
संसद में हंगामे से पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के चेंबर में इंडिया ब्लॉक के नेताओं की बैठक हुई। इस बैठक के बाद विपक्षी दलों में महाभियोग प्रस्ताव लाने को लेकर सहमति बनने की खबरें सामने आईं। यह कदम यदि उठाया जाता है, तो संसद की राजनीति में बड़ा घटनाक्रम माना जाएगा।
सरकार बनाम विपक्ष की जंग
सरकार का रुख अब तक सख्त दिखाई दिया है। भाजपा सांसदों का कहना है कि विपक्ष निराधार आरोप लगाकर लोकतांत्रिक संस्थाओं की साख को ठेस पहुँचा रहा है। दूसरी ओर विपक्ष का दावा है कि बिहार वोटर वेरिफिकेशन में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुई हैं, जिनके जरिए “फर्जी वोटरों” को हटा कर सत्तारूढ़ दल को फायदा पहुँचाया जा रहा है।
संसदीय गतिरोध और जनता की निगाहें
लगातार हंगामे और स्थगन से संसद का विधायी कामकाज ठप होता जा रहा है। विपक्ष का रुख टकरावपूर्ण है और सरकार पीछे हटने को तैयार नहीं। ऐसे में संसद का मानसून सत्र लोकतंत्र की बहस का मंच बनने के बजाय सियासी आरोप-प्रत्यारोप का अखाड़ा बन गया है।