पहलगाम हमले का मास्टर माइंड कैसे बना आतंकी? लैब टेक्नीशियन जो बना टीआरएफ आतंक फैक्ट्री का प्रमुख
पहलगाम आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड के रूप में शेख सज्जाद गुल की पहचान की है. वह द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) का प्रमुख है, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है. NIA ने घोषित कर रखा है 10 लाख रुपये का ईनाम
N4N डेस्क: पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे. टीआरएफ ने हमले की जिम्मेदारी ली थी. इस आतंकी वारदात की जाँच कर रही नेशनल जाँच एजेंसियों ने शेख सज्जाद गुल की पहचान जम्मू और पहलगाम आतंकी हमले के मास्टरमाइंड के रूप में चिन्हित कर लिया है. 50 वर्षीय कश्मीरी मूल का गुल, द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) का प्रमुख है, जिसे लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन मिला हुआ है. जाँच एजेंसियों के अधिकारियों का दावा है कि एलईटी के संरक्षण में पाकिस्तान के रावलपिंडी शहर में छिपे हुए गुल को सज्जाद अहमद शेख के नाम से भी जाना जाता है. अबतक वह कई आतंकी हमलों का सूत्रधार रहा है, जिसमें 2020 से 2024 के बीच मध्य व दक्षिण कश्मीर में टारगेट मर्डर्स, 2023 में मध्य कश्मीर में हुए ग्रेनेड हमले, अनंतनाग के बिजबेहरा में जम्मू-कश्मीर पुलिस कर्मियों पर घात लगाकर हमला, गगनगीर, गंदेरबल में जेड-मोड़ सुरंग पर हुआ हमला शामिल है. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने इसे अप्रैल 2022 में उसे आतंकवादी घोषित किया था और उसपर 10 लाख रुपये का ईनाम रखा था.
डाक्टर भाई भी था आतंकी
जांच एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार मुताबिक, शेख सज्जाद गुल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा श्रीनगर में ही प्राप्त की.तदुपरांत आगे की पढाई खातिर इसने बेंगलुरु में एमबीए की पढ़ाई करने लगा लेकिन पढाई के दौरान ही इसने केरल का रुख किया और वहां पहुचकर लैब टेक्नीशियन कोर्स में एडमिशन ले लिया. विदित हो की गुल का भाई श्रीनगर के श्री महाराजा हरि सिंह अस्पताल में पूर्व चिकित्सक था और 1990 के दशक में आतंकवादी था. उन्होंने कहा कि वह सऊदी अरब और बाद में पाकिस्तान चला गया.
लैब टेक्नीशियन से टीआरएफ प्रमुख तक
शेख सज्जाद गुल केरल में लैब टेक्नीशियन कोर्स पूरा करने के बाद घाटी लौट आया, जहां उसने एक डायग्नोस्टिक लैब खोली और फिर लैब के जरीए आतंकी समूह की मदद करनी शुरू कर दी.आतंकी समूह के ‘ओवरग्राउंड वर्कर’ (ओजीडब्ल्यू) के रूप में काम करने के दौरान, गुल को 2002 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से पांच किलोग्राम आरडीएक्स के साथ पकड़ लिया था.उन्होंने कहा कि यह पता चला कि वह राष्ट्रीय राजधानी में सिलसिलेवार विस्फोट करने की साजिश रच रहा था, जिसके लिए उसे 7 अगस्त, 2003 को 10 साल की सजा सुनाई गई थी.अधिकारियों ने बताया कि साल 2017 में जेल से रिहा होने के बाद वह पाकिस्तान चला गया, जहां पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने 2019 में उसे कश्मीर में टीआरएफ का नेतृत्व करने के लिए चुना.उन्होंने कहा कि टीआरएफ बनाना फरवरी 2019 में पुलवामा की घटना के बाद आईएसआई की एक रणनीति थी. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने इसे अप्रैल 2022 में उसे आतंकवादी घोषित किया था और उसपर 10 लाख रुपये का ईनाम रखा था.