Pahalgam attack revenge: परमाणु की ‘ढपली’ छोड़, अब बाल्टी लिए बैठे हैं शहबाज शरीफ! सेनाध्यक्ष मुनीर के बाद पीएम बोले- पानी दे दो इंडिया
Pahalgam attack revenge:हालत यह हो गई है कि अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से लेकर सेनाध्यक्ष मौलाना मुनीर तक ‘पानी-पानी’ चिल्ला रहे हैं....
Pahalgam attack revenge:कभी परमाणु बम की धमकी देने वाला पाकिस्तान आज पानी की एक-एक बूंद को तरस रहा है। भारत द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित करने के बाद से इस्लामाबाद की नींद हराम हो गई है। हालत यह हो गई है कि अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से लेकर सेनाध्यक्ष मौलाना मुनीर तक ‘पानी-पानी’ चिल्ला रहे हैं — वो भी बिना बारिश के!
परमाणु की ‘ढपली’ छोड़, अब बाल्टी लिए बैठे हैं शहबाज शरीफ!
भारत के खिलाफ बार-बार परमाणु हथियारों की गीदड़भभकी देने वाला पाकिस्तान अब कह रहा है कि “पानी को हथियार न बनाओ।” लगता है पाकिस्तान को H2O से ज़्यादा डर लगने लगा है, क्योंकि अब वहां की नदियों में जल कम और जलन ज़्यादा बह रही है।जब भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि को स्थगित किया, तब पाकिस्तान ने इसे महज़ एक "राजनीतिक ड्रामा" समझा। लेकिन अब जब नल सूखने लगे, कुएं उगलने लगे धुआं और खेती ने दम तोड़ना शुरू किया, तो इस्लामाबाद को समझ आया — ये कोई स्क्रिप्ट नहीं, रियल एक्शन है।
अब पाकिस्तान कर रहा है नैतिकता की बात!
शहबाज शरीफ साहब बोल रहे हैं — "भारत सिंधु जल को हथियार की तरह इस्तेमाल न करे"।जवाब में सोशल मीडिया पूछ रहा है — "तो आप बम हथियार की तरह क्यों इस्तेमाल करना चाहते थे, भाईजान?"
एमजे अकबर का करारा प्रहार: पाकिस्तान से बात करें, लेकिन किस मुंह से?
पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने कोपेनहेगन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए पाकिस्तान की दोहरी नीति की पोल खोल दी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में दो चेहरे हैं, दो जुबानें हैं, और दोनों ही जहरीली हैं। बात किससे करें? और क्यों करें?..ये वही पाकिस्तान है जो दुनिया के मंच पर बातचीत की गुहार लगाता है, लेकिन पीठ पीछे घात करता है।
पाकिस्तान के लिए पानी अब 'संसाधन' नहीं, 'संकट' बन गया है...पाकिस्तान में पानी को लेकर अब सियासी झंझावात चल रहा है। सेना और सरकार दोनों पानी की समस्या पर बयानबाज़ी कर रहे हैं, लेकिन किसी के पास समाधान नहीं है।भारत का साफ संदेश है —"जब तक आतंक बहता रहेगा, तब तक सिंधु नहीं बहेगी!"