Supreme court -'लड़कियों का ब्रेस्ट दबाना रेप नहीं' बतानेवाले प्रयागराज हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, फैसले पर लगाई रोक, केंद्र और राज्य से मांगा जवाब
Supreme court - लड़कियों के ब्रेस्ट दबाने को रेप नहीं बतानेवाले प्रयागराज हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को अमानवीय औ असंवेदनशील बताया। कोर्ट ने फैसले पर दुख जताया है।

New delhi -देश में न्याय व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। एक तरफ हाईकोर्ट के जज के घर करोड़ों रुपए मिल रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा नाबालिग लड़कियों के ब्रेस्ट को पकड़ने और पायजामे के नाड़े को तोड़ने को रेप नहीं बताया गया। जिसको लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने हैरान जताई है और हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए केंद्र और यूपी सरकार को नोटिस जारी कर इस पर जवाब देने के लिए कहा हैष
दुष्कर्म मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से दिए गए आदेश पर सुप्रीम कोर्ट के जजों जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने असंवेदनशील और अमानवीय बताया। मामले में सुनवाई करते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा कि हमें ये देखकर दुख हो रहा है कि फैसला लिखने वालों में संवेदनशीलता नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार से प्रतिक्रिया मांगी है। कोर्ट ने उन्हें इसके लिए नोटिस जारी किया है। मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरी तरह से सही है। कुछ फैसलों को रोकने के कारण होते हैं।
फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने खुद लिया संज्ञान
दरअसल, एक दिन पहले मंगलवार को SC ने हाईकोर्ट के फैसले पर खुद सुनवाई करने का फैसला किया था। इस फैसले पर कानूनी विशेषज्ञों, राजनेताओं और अलग-अलग क्षेत्रों के एक्सपर्ट्स के विरोध के बाद सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था। हालांकि, पहले इसी केस पर दायर एक याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था।
क्या कहा था इलाहाबाद हाईकोर्ट ने
'किसी लड़की के निजी अंग पकड़ लेना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ देना और जबरन उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश से रेप या 'अटेम्प्ट टु रेप' का मामला नहीं बनता। जिसको लेकर कई तरह सवाल उठने लगे थे।