Crime News:नाबालिग से मुस्लिम शख्स की शादी पर हाईकोर्ट ने अपनाया कड़ा रुख, पॉक्सो केस रद्द करने की मांग खारिज

Crime News: नाबालिग लड़की से शादी और उसके बाद बच्चे के जन्म से जुड़े मामले में पॉक्सो केस रद्द करने की आरोपी की मांग को खारिज कर दिया।

नाबालिग से मुस्लिम शख्स की शादी पर हाईकोर्ट ने अपनाया कड़ा रुख- फोटो : social Media

Crime News: नाबालिग लड़की से शादी और उसके बाद बच्चे के जन्म से जुड़े मामले में पॉक्सो केस रद्द करने की आरोपी की मांग को खारिज कर दिया। नागपुर खंडपीठ ने भी आरोपी को राहत देने से इनकार करते हुए साफ कहा कि पॉक्सो और बाल विवाह निषेध कानून के तहत दर्ज मामला रद्द नहीं किया जा सकता।बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के अकोला जिले में नाबालिग लड़की से शादी और उसके बाद बच्चे के जन्म से जुड़े मामले में कड़ा रुख अपनाया है।

मामला 29 वर्षीय मजदूर से जुड़ा है, जिस पर आरोप है कि उसने 17 वर्षीय नाबालिग लड़की से शादी की और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। शादी जून 2024 में हुई थी, तब आरोपी की उम्र लगभग 27 वर्ष थी। मई 2025 में लड़की ने एक बच्चे को जन्म दिया। इसके बाद 1 जुलाई को तेल्हारा पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई।

आरोपी पक्ष ने अदालत से मामला रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि दोनों के बीच प्रेम संबंध थे और शादी परिवार की सहमति से मुस्लिम रिवाज के अनुसार हुई थी। आरोपी के वकील ने दावा किया कि अब लड़की बालिग हो चुकी है, विवाह कानूनी रूप से पंजीकृत हो चुका है और दोनों खुशहाल जीवन बिता रहे हैं। पीड़िता की ओर से वकील ने यह दलील दी कि अब वह अपने जीवन में आगे बढ़ चुकी है और FIR रद्द करना उचित होगा।

हालांकि, सरकारी वकील ने इसका विरोध किया और बताया कि आरोपी युवक को लड़की की वास्तविक उम्र की जानकारी थी। साथ ही बच्चे के जन्म ने अपराध को और भी स्पष्ट कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पॉक्सो कानून के तहत नाबालिग की सहमति का कोई महत्व नहीं है।

जस्टिस उर्मिला जोशी फाल्के और जस्टिस नंदेश एस देशपांडे की खंडपीठ ने कहा कि आरोपी उस समय 27 साल का था और उसे समझना चाहिए था कि लड़की के बालिग होने तक इंतजार करना जरूरी था। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि नाबालिग होने के बावजूद शादी कराना और उसे उसके माता-पिता की वैध अभिरक्षा से दूर ले जाना स्वयं एक अपराध है।

हाईकोर्ट ने इस निर्णय के माध्यम से नाबालिगों के अधिकारों की सुरक्षा और पॉक्सो कानून की कठोरता को स्पष्ट किया है और भविष्य में ऐसे मामलों में कानून की सख्ती बनाए रखने का संदेश दिया है।