IndiGo Flight Cancellation:ऑपरेशनल संकट में फंसा इंडिगो, 600 फ़्लाइटों के कैंसिलेशन की बारिश से गरमाया माहौल , असमंजस के मौसम में सरकार पर बरसे राहुल गांधी
IndiGo Flight Cancellation: देश के बड़े एयरपोर्ट्स पर यात्री कतारों में अपने सपनों का टिकट थामे पहुंचे, इंडिगो के ऑपरेशनल संकट ने पूरे माहौल को अफरा-तफरी के तूफ़ान में बदल दिया।
IndiGo Flight Cancellation: शुक्रवार की सुबह जैसे ही देश के बड़े एयरपोर्ट्स पर यात्री कतारों में अपने सपनों का टिकट थामे पहुंचे, इंडिगो के ऑपरेशनल संकट ने पूरे माहौल को अफरा-तफरी के तूफ़ान में बदल दिया। यह कोई मामूली गड़बड़ी नहीं थी, बल्कि हवाई सेवाओं के तंत्र पर पड़ा एक गहरा सियासी-सामरिक धक्का था, जिसमें तकनीकी खामियों, क्रू की कमी और प्रबंधन की नाकामी ने मिलकर एक ऐसा एवियेशन ब्लैकआउट रचा जिसकी गूँज दिल्ली से लेकर दीगर शहरों के रनवे तक सुनाई दी।
5 दिसंबर को इंडिगो का संकट और तीखा हो गया, और 600 फ्लाइटों का कैंसिलेशन देशभर के यात्रियों पर एक भारी आफ़त के तौर पर टूटा। क्रू ड्यूटी टाइम लिमिटेशन की नई गाइडलाइन ने एयरलाइन के प्रबंधन की कमर वैसे ही तोड़ी, जैसे अचानक लागू नियम किसी सियासी दल को चुनावी मैदान में बेबस छोड़ दें। एयरलाइन ने दो दिन में दूसरी बार माफी माँगी और रेगुलेटर डीजीसीए से रात में ड्यूटी नियमों में नरमी देने की गुहार लगाई, पर इस पर फैसला अभी तक रहस्य के धुंध में लिपटा है।
नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक बुलाई और एयरलाइन को फौरन सामान्य स्थिति बहाल करने का आदेश दिया, साथ ही चेतावनी भी कि इस संकट की आड़ में किराए की आग न भड़के। एयरपोर्ट अथॉरिटी को हिदायत दी गई कि फंसे हुए यात्रियों की हर संभव मदद की जाए।
दिल्ली एयरपोर्ट पर स्थिति सबसे विस्फोटक रही 23:59 तक सभी डिपार्चर फ्लाइटें कैंसिल, यात्रियों की भीड़ उबलते गुस्से की शक्ल में, और स्टाफ जानकारी देने से ज्यादा खुद बिखरा हुआ नजर आया। कोई पानी नहीं, कोई रोटी नहीं, और सूचना का तो जैसे अकाल पड़ गया।
वहीं सियासत भी इस संकट की आंधी में कूद पड़ी। राहुल गांधी ने सरकार पर सीधा वार किया और इंडिगो संकट को मोनोपॉली मॉडल की नाकामी बताते हुए कहा कि देश को कॉम्पिटिशन चाहिए, “मैच-फिक्सिंग वाली मोनोपॉली नहीं।
एयरपोर्ट पर यात्रियों का सब्र टूट रहा था, और सियासत अपनी-अपनी परछाईं से लड़ रही थी पर असली सवाल हवा में लटका है कि क्या इंडिगो का यह हवाई भूकंप महज़ एक तकनीकी हादसा है, या भारत की उड्डयन नीति में छुपे किसी गहरे सियासी-प्रशासनिक दरार का इशारा?