Bihar News: बिहार में मिला 500 साल पुराना बरगद का पेड़, 100 वर्ष से ज्यादा आयु के मिले इतने पेड़
बिहार में पेड़ों को विरासतीय संरक्षण के दायरे में रखने की एक अनोखी पहल के तहत राज्य में एक ऐसा पेड़ मिला है जिसकी उम्र करीब 500 साल अनुमानित है.
Bihar News: बिहार में बरगद का एक ऐसा पेड़ मिला है जो 500 वर्ष के करीब पुराना है. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, बिहार ने राज्य की जैव विविधता और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। बिहार जैव विविधता पर्षद ने पांच जिलों बक्सर, औरंगाबाद, मुंगेर, जमुई और भागलपुर में 32 विरासत वृक्षों को चयनित किया है, जिनमें से 28 वृक्ष 100 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं।
चयनित वृक्षों में सबसे अधिक चर्चा का विषय बना है औरंगाबाद जिले के मदनपुर प्रखंड की दक्षिणी उमगा पंचायत में अवस्थित एक विशालकाय बरगद का वृक्ष, जिसकी अनुमानित आयु लगभग 500 वर्ष बताई जा रही है। यह वृक्ष अपने आकार, विस्तार और स्थानीय सांस्कृतिक जुड़ाव के लिए वर्षों से चर्चित रहा है।
32 विशिष्ट वृक्षों का चयन
बोर्ड ने विरासत वृक्षों के चयन और घोषणा के लिए विस्तृत दिशानिर्देश तैयार किए हैं, जिन्हें सभी जिला पदाधिकारियों और वन प्रमंडल अधिकारियों को भेजा गया है। चयन के लिए मुख्य मानक हैं, वृक्ष की आयु (सामान्यतः तीन पीढ़ियों से अधिक), पौराणिक या ऐतिहासिक महत्व, विशिष्टता, संकटापन्न प्रजाति होना, या वैज्ञानिक शोध के लिए महत्वपूर्ण होना। इन मानकों के आधार पर, पहले चरण में राज्य भर से चिन्हित 1500 वृक्षों में से सघन भौतिक सत्यापन के बाद 32 विशिष्ट वृक्षों को "जैव विविधता विरासत वृक्ष" घोषित करने के लिए अंतिम रूप से चुना गया है।
बिहार हेरिटेज ट्री ऐप
इन 32 वृक्षों में बरगद-12, पीपल-6 पाकड-3, महुआ-2, नीम-2, खिरनी-1, सेमल 2, गुलर-1, इमली-1, कल्पवृक्ष-1 तथा कनक चम्पा -1 वृक्ष शामिल है। औरंगाबाद का 500 वर्ष पुराना बरगद वृक्ष इस सूची में सबसे प्राचीन है, जबकि अन्य 27 वृक्ष भी 100 वर्ष से अधिक आयु के हैं। शेष चार वृक्षों की आयु 70 से 90 वर्ष के बीच है। इन वृक्षों को आधिकारिक रूप से "जैव विविधता विरासत वृक्ष" घोषित करने की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी, ताकि इन्हें भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखा जा सके। साथ ही इन वृक्षों के बारे में पता लगाने और संरक्षित करने के लिए एक "बिहार हेरिटेज ट्री ऐप" भी विकसित किया गया है।
इस ऐप के माध्यम से आम लोग अथवा जन प्रतिनिधि इस पर अपने जिले, मुहल्ले, पंचायत, ब्लॉक आदि के विशिष्ट वृक्ष की तस्वीरें जीपीएस लोकेशन के साथ डाल सकते हैं। जानकारी सही होने और इन वृक्ष में असल मे विशिष्टता पाए जाने पर उन्हें विरासत वृक्ष की सूची में शामिल किया जाएगा।