​Banka Sawan 2025: सुल्तानगंज देवघर कांवरिया पथ पर दिखा श्रद्धा का अनोखा रूप, जंजीरों में जकड़ ‘कैदी बम’ बन निकले भोलेनाथ के भक्त

​Banka Sawan 2025: श्रावणी मेले में जहानाबाद के शंभू कुमार ने जंजीरों में बंधकर बाबा धाम की कांवर यात्रा की। जानिए उनके इस अनोखे संकल्प, आस्था और प्रायश्चित की पूरी कहानी।

जंजीरों में बंधे कैदी बम- फोटो : news4nation

Banka  Sawan 2025: श्रावणी मेले में श्रद्धा के रंग हर साल कुछ नया लेकर आते हैं, लेकिन इस बार बांका जिले से गुजर रहे कांवरिया पथ पर एक अलग ही नजारा देखने को मिला। भक्तों की भीड़ के बीच एक ऐसा श्रद्धालु भी दिखा, जो हाथ, पैर, कमर, यहां तक कि गले तक में जंजीर पहनकर कांवर यात्रा कर रहा है। देखने वाले पहले तो चौंके, फिर जैसे ही पूरी कहानी सामने आई, हर किसी की जुबां पर बस एक ही नारा गूंजा — हर हर महादेव!

यह अनोखा भक्त है बिहार के जहानाबाद जिले के शंभू कुमार, जो पिछले 20 वर्षों से हर साल कांवर यात्रा कर बाबा धाम, देवघर पहुंचते हैं। लेकिन इस बार उनकी यात्रा कुछ खास है। शंभू बताते हैं कि इस वर्ष बाबा भोलेनाथ स्वयं उनके सपने में आए और कहा कि "तुमसे एक गुनाह हुआ है, और तुम्हें उसका प्रायश्चित करना होगा। तुम मेरे दरबार में इस बार एक मुजरिम बनकर आओ।"

जंजीरों में बंधे लेकिन विश्वास में मुक्त

बाबा के इस आदेश को आज्ञा मानकर शंभू ने इस बार खुद को कैदी के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने हाथ, पैर, कमर और गर्दन में लोहे की जंजीरें डाल लीं — ठीक वैसे जैसे किसी अपराधी को कैद किया जाता है। लेकिन यह कैद उनके शरीर की थी, आत्मा तो भक्ति में पूरी तरह मुक्त हो चुकी थी।

शंभू का कहना है कि "मैंने जो भी गलती की हो, उसका प्रायश्चित करने के लिए मैं बाबा के दरबार तक कैदी बनकर जा रहा हूं। यह मेरी सजा नहीं, बल्कि आस्था है।" उनकी यह आस्था देख श्रद्धालुओं की भीड़ उन्हें देखते ही भावविभोर हो जाती है और नारे गूंजने लगते हैं  "बोल बम", "हर हर महादेव", "जय भोले"।

कांवरिया पथ पर श्रद्धा के कई रंग

सुल्तानगंज से देवघर तक के 100 किमी कांवरिया पथ पर हजारों श्रद्धालु भक्ति में डूबे नजर आते हैं। कोई भगवा धारण कर नंगे पांव चलता है, कोई डीजे कांवर लेकर झूमता है, तो कोई कांवड़ पर तिरंगा लगाकर बाबा से देश की सलामती की दुआ करता है। लेकिन शंभू जैसे "कैदी बम" बाबा के उन भक्तों में शामिल हैं, जो भक्ति को आत्मशुद्धि और प्रायश्चित का माध्यम मानते हैं।

प्रशासन और श्रद्धालु दोनों ने की सराहना

शंभू की इस विशेष कांवर यात्रा को देख न सिर्फ आम श्रद्धालु, बल्कि कांवरिया पथ पर तैनात प्रशासनिक अधिकारी भी दंग हैं। स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनज़र विशेष निगरानी रखने की बात कही है और उन्हें आवश्यक सहयोग भी दिया जा रहा है।शंभू कुमार की यह अनोखी श्रद्धा सिर्फ कांवर यात्रा ही नहीं, बल्कि जीवन में आस्था, अपराधबोध और आत्मशुद्धि के मिलन का प्रतीक बन गई है।

बांका से चंद्रशेखर कुमार भगत कि रिपोर्ट