Buxar News: बिहार की बेटी कमला ने रचा इतिहास! त्रिनिदाद और टोबैगो की दोबारा प्रधानमंत्री बनीं, बक्सर के भेलुपुर से गहरा नाता
Buxar News: 29 अप्रैल 2025 को त्रिनिदाद और टोबैगो के आम चुनाव में कमला प्रसाद-बिसेसर ने यूनाइटेड नेशनल कांग्रेस (UNC) के नेतृत्व में शानदार जीत हासिल की और दूसरी बार इस कैरेबियाई देश की प्रधानमंत्री बनीं।

Buxar News: 29 अप्रैल 2025 को त्रिनिदाद और टोबैगो के आम चुनाव में कमला प्रसाद-बिसेसर ने यूनाइटेड नेशनल कांग्रेस (UNC) के नेतृत्व में शानदार जीत हासिल की और दूसरी बार इस कैरेबियाई देश की प्रधानमंत्री बनीं। 73 वर्षीय कमला, जो 2010 से 2015 तक इस पद पर रह चुकी हैं, न केवल त्रिनिदाद और टोबैगो की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं, बल्कि वह भारतीय मूल की पहली महिला भी हैं, जिन्होंने भारत और दक्षिण एशिया के बाहर किसी देश का नेतृत्व किया। बिहार के बक्सर जिले के भेलुपुर गांव से उनका गहरा पारिवारिक जुड़ाव है, जिसके कारण उनकी इस उपलब्धि ने भारत, खासकर बिहार में खुशी की लहर दौड़ा दी है।
कमला प्रसाद-बिसेसर: बिहार से त्रिनिदाद तक का सफर
कमला प्रसाद-बिसेसर का जन्म 22 अप्रैल 1952 को त्रिनिदाद के सिपारिया में हुआ। उनके पूर्वज 19वीं सदी में बिहार के बक्सर जिले के भेलुपुर गांव से गिरमिटिया मजदूरों के रूप में त्रिनिदाद पहुंचे थे। उनके परदादा राम लखन मिश्रा 1889 में भेलुपुर से कैरेबियाई द्वीपों के लिए रवाना हुए थे। कमला के पिता लीलराज प्रसाद टेक्साको कंपनी में बहीखाता संभालते थे, जबकि उनकी मां रीता कोको के खेतों में मजदूरी करती थीं और बाद में उन्होंने एक रोटी की दुकान शुरू की। कमला के दादा-दादी, सोमिन्त्रा प्रसाद (नी गुपालसिंह) और चोरंजी प्रसाद, और नाना-नानी, रूकमिन और रामप्रित, भी भारतीय मूल के थे।
कमला की जड़ें हिंदू संस्कृति से गहराई से जुड़ी थीं, लेकिन उनके परिवार ने बाद में बैपटिस्ट ईसाई धर्म अपना लिया। फिर भी, कमला ने अपनी भारतीय संस्कृति और मूल्यों को हमेशा संजोया। 2010 में प्रधानमंत्री बनने के बाद, उन्होंने भगवद गीता पर शपथ ली, जो उनकी भारतीय विरासत के प्रति सम्मान को दर्शाता है।
कमला ने अपनी शिक्षा त्रिनिदाद के आयर हाई स्कूल से शुरू की। 17 साल की उम्र में, अगस्त 1969 में, वह उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड गईं और नॉरवुड टेक्निकल कॉलेज, लंदन में दाखिला लिया। वहां उन्होंने चर्च ऑफ इंग्लैंड चिल्ड्रन सोसाइटी के साथ सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम किया। 1971 में, 18 साल की उम्र में, उन्होंने अपने मंगेतर ग्रेगरी बिसेसर से शादी की। इसके बाद, वह जमैका चली गईं, जहां उन्होंने वेस्ट इंडीज विश्वविद्यालय (UWI), मोना से 1974 में बैचलर ऑफ आर्ट्स (ऑनर्स) और 1976 में डिप्लोमा इन एजुकेशन हासिल किया।